1.

1. प्राप्ति एवं भुगतान खाते बनाते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? 2. "प्राप्ति एवं भुगतान खाता किसी संस्था को आर्थिक स्थिति का द्योतक नहीं है।" समझाइए।3.गैर-व्यावसायिक संस्थाएँ अपना हिसाब लेखाकर्म की रोकड़ पद्धति पर क्यों रखती हैं ?4.गैर-व्यावसायिक संस्थाओं और व्यक्तियों द्वारा रोकड़ पद्धति से खाते तैयार किये जाने के चार कारण5. प्राप्ति एवं भुगतान खाता एवं रोकड़ बही में अन्तर बताइए। (तीन बिन्दु)6. गैर-व्यावसायिक संस्थाओं की आय के पाँच स्रोतों का वर्णन कीजिए।7.गैर-व्यावसायिक संस्थाओं से क्या आशय है? गैर-व्यावसायिक संस्थाएँ अपना हिसाब-किताब किसपद्धति पर रखती हैं?8. गैर-व्यावसायिक संस्थाओं द्वारा बहीखाता रखने की क्या आवश्यकता है ? स्पष्ट कीजिए। (तीन बिन्दु)9. प्राप्ति एवं भुगतान खाते तथा आय-व्यय खाते में अन्तर स्पष्ट कीजिए। (कोई पाँच बिन्दु)10. प्राप्ति एवं भुगतान खाते से आय-व्यय खाता कैसे तैयार किया जाता है?11. आय-व्यय खाता तैयार करने की विधि लिखिए।12. गैर-व्यावसायिक संस्थाओं के आय-व्यय के साधन कौन-कौन से हैं? नाम दीजिए।13. एक गैर-व्यावसायिक संस्था का चिट्ठा बनाते समय किन-किन बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए ? स्पष्टलिखिए।14. आय-व्यय खाता बनाते समय किन-किन बिन्दुओं का ध्यान रखा जाना चाहिए?15. आय-व्यय खाते में प्रारम्भिक पूँजी की गणना करने की विधि संक्षेप में समझाइए।​

Answer» SANSKRIT NAHI AATA HAI OK


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