InterviewSolution
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1. तिरती है समीर-सागर परअस्थिर सुख पर दुख की छाया-जग के दग्ध हृदय परनिर्दय विप्लव की प्लावित माया- |
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Answer» 1. तिरती है समीर-सागर पर अस्थिर सुख पर दुख की छाया- जग के दग्ध हृदय पर निर्दय विप्लव की प्लावित माया- |
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