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25 सायमन कमीशन को भारत छोड़ने को क्यों कहा गया? लिखिए Why was Simon Commission asked to leave Indiसाइमन कमीशन अंग्रेजों द्वारा बनाई गई एक प्रकार की नीति थी साइमन कमीशन को सर्वप्रथम जॉन साइमन ने लिया था |1. इसमें कोई भी भारतीय सदस्य नहीं थे |2. इसमें भारत को स्वराज्य देने की कोई घोषणा नहीं की थी | ​

Answer» <html><body><p> </p><p>1927 में वाइसराय लार्ड इरविन ने महात्मा गांधी को दिल्ली बुलाकर यह सूचना दी कि भारत में वैधानिक सुधार लाने के लिए एक रिपोर्ट तैयार की जा रही है जिसके लिए एक कमीशन बनाया गया है जिसके अध्यक्ष सर जॉन साइमन होंगे. साइमन कमीशन/<a href="https://interviewquestions.tuteehub.com/tag/simon-644241" style="font-weight:bold;" target="_blank" title="Click to know more about SIMON">SIMON</a> Commission की एक मुख्य विशेषता यह थी कि उसके सदस्यों में केवल अँगरेज़ ही अँगरेज़ थे.</p><p></p><p></p><p> </p><p></p><p> </p><p></p><p> </p><p>गांधी जी ने इसे भारतीय नेताओं का अपमान माना. उनका यह अनुभव था कि इस तरह के कमीशन स्वतंत्रता की मांग को टालने के लिए बनाये जाते रहे हैं. सभी नेताओं का इस विषय में यह मत था कि साइमन कमीशन/Simon Commission आँखों में धूल झोकने का एक तरीका है और जले पर नमक छिड़कने का प्रयास है. चारों तरफ से साइमन कमीशन का विरोध होते देख कर भी सरकार अड़ी रही और 3 फरबरी <a href="https://interviewquestions.tuteehub.com/tag/1928-281305" style="font-weight:bold;" target="_blank" title="Click to know more about 1928">1928</a> को साइमन कमीशन/Simon Commission बम्बई के बंदरगाह पर उतर गया. उस दिन देश भर में हड़ताल मनाई गयी और साइमन गो बैक (Simon Go Back) के नारे हर जगह लगाये जाने लगे.</p><p></p><p>यह कमीशन जब लाहौर पहुंचा तो वहां की जनता ने लाला लाजपत राय के नेतृत्व में काले झंडे दिखाए और साइमन कमीशन वापस जाओ के नारों से आकाश गूंजा दिया. यह देखकर पुलिस आपे से बाहर हो गयी और लाठियाँ बरसाने लगीं. लाठियों का शिकार लाला लाजपत राय भी हुए और अंततः इसी से उनका देहांत हो गया. इसी तरह की घटनाएँ लखनऊ, पटना और अन्य स्थानों पर भी हुई.</p><p></p><p>john_simon</p><p>सर साइमन</p><p></p><p>तब सरकार ने भारतीयों को संतुष्ट करने के लिए घोषणा की कि कमीशन में केन्द्रीय और प्रांतीय विधायिकाओं के कुछ चुने हुए प्रतिनिधि भी बुलाये जाएंगे. परन्तु वह उन प्रतिनिधियों को कोई अधिकार नहीं दिया गया. सरकार के इस प्रस्ताव का भी विरोध हुआ. विधायिकाओं ने अपना प्रतिनिधि देने से इनकार कर दिया.</p><p></p><p>कांग्रेस के 1927 के मद्रास अधिवेशन में ‘साइमन आयोग’ के पूर्ण बहिष्कार का निर्णय लिया गया.</p><p></p><p>भारतीयों के पूर्ण बहिष्कार की उपेक्षा करते हुए साइमन कमीशन ने 27 मई, 1930 ई. को अपनी रिपोर्ट प्रकाशित कर दी. रिपोर्ट/Report में की गयी मुख सिफ़ारिशें (recommendations) इस प्रकार थीं…</p><p></p><p>1919 ई. के ‘भारत सरकार अधिनियम’ / 1919 <a href="https://interviewquestions.tuteehub.com/tag/govt-475810" style="font-weight:bold;" target="_blank" title="Click to know more about GOVT">GOVT</a>. of <a href="https://interviewquestions.tuteehub.com/tag/india-54" style="font-weight:bold;" target="_blank" title="Click to know more about INDIA">INDIA</a> <a href="https://interviewquestions.tuteehub.com/tag/act-1106" style="font-weight:bold;" target="_blank" title="Click to know more about ACT">ACT</a> के तहत लागू की गई द्वैध शासन व्यवस्था/Diarchy System को समाप्त कर दिया जाये.</p><p>देश के लिए संघीय स्वरूप का संविधान बनाया जाए.</p><p>उच्च न्यायालय को भारत सरकार के नियंत्रण में रखा जाए.</p><p>बर्मा (अभी का म्यांमार) को भारत से अलग किया जाए तथा उड़ीसा एवं सिंध को अलग प्रांत का दर्जा दिया जाए.</p><p>प्रान्तीय विधानमण्डलों/Provincial Assemblies में सदस्यों की संख्या को बढ़ाया जाए.</p><p>यह व्यवस्था की जाए कि गवर्नर व गवर्नर-जनरल अल्पसंख्यक जातियों के हितों के प्रति विशेष ध्यान रखें.</p><p>हर 10 वर्ष पर एक संविधान आयोग/Constitution Commission की नियुक्ति की व्यवस्था को समाप्त कर दिया जाए.</p><p>जन साधारण के विरोध को देखते हुए वाइसराय लार्ड इरविन ने अक्टूबर 1929 में घोषणा की कि भारत को डोमिनियन स्टेटस दिया जाएगा तथा भविष्य के संविधान के लिए एक गोलमेज सम्मलेन आयोजित किया जाएगा. यद्यपि जैसा कि इतिहास साक्षी है कि इन गोलमेज सम्मेलनों में भी कोई बात नहीं बनी, फिर भी हम कह सकते हैं कि साइमन रिपोर्ट/Simon Reportआगे चल कर के 1935 के भारतीय संविधान अधिनियम का आधार बना. इस प्रकार भारतीय स्वंत्रतता के इतिहास में साइमन कमीशन के महत्त्व को अस्वीकार नहीं किया जा सकता.</p><p></p><p>Detailed Explanation</p><p>——साइमन कमीशन के बारे में विस्तार से पढ़ें——</p><p>पृष्ठभूमि</p><p>1927 में राष्ट्रीय आन्दोलन अपने निम्नतम स्तर पर था. स्थिति ऐसी थी कि हिन्दू-मुस्लिम दंगो के कारण राष्ट्रीय आन्दोलन या संवैधानिक सुधारों की दिशा में सोचा भी नहीं जा सकता था. लेकिन इसी समय ब्रिटिश शासन के द्वारा एक ऐसा कार्य किया गया जिसने राष्ट्रीय आन्दोलन को नवजीवन और गति प्रदान की. 1919 के अधिनियम में मांटेग्यू चेम्सपफोर्ड अधिनियम के पारित होने के 10 वर्ष पश्चात् भारत में उत्तरदायी सरकार की प्रगति की दिशा में किये गये कार्यों की समीक्षा का प्रावधान किया गया था. इसके अनुसार सरकार को 1931 ई. में इस कार्य के लिए एक आयोग नियुक्त करना था, लेकिन सरकार ने 1927 ई. में ही इस आयोग की नियुक्ति कर दी. इस आयोग के अध्यक्ष सर जॉन साइमन थे। उनकी अध्यक्षता में ‘भारतीय संवैधानिक आयोग या इंडियन स्टेचुटरी कमीशन’ बहाल किया गया। अध्यक्ष सहित इसमें कुल 7 सदस्य थे. इसमें ब्रिटेन के तीनों प्रमुख राजनीतिक दलों “कंजर्वेटिव, लिबरल और लेबर” के प्रतिनिधि रखे गये, परंतु किसी भी भारतीय सदस्य को इसमें नहीं लिया गया. यह प्रजातीय विभेद का एक जीता-जागता उदाहरण था.</p><p></p><p>कमीशन में भारतीयों को सम्मिलित न करने का कारण यह बतलाया गया कि चूंकि कमीशन को अपनी रिपोर्ट ब्रिटिश संसद को देनी होगी, इसलिए उसमें ब्रिटिश संसद के सदस्यों को ही सम्मिलित किया जाना उचित था. किन्तु सरकार का यह स्पष्टीकरण एक भुलावा था, क्योंकि इस समय दो भारतीय लॉर्ड सिन्हा और मि. सकलातवाला भी ब्रिटिश संसद के सदस्य थे.</p><p></p><p>साइमन कमीशन क्यों लाया गया?</p><p>वैसे तो ब्रिटिश सरकार का कहना था कि भारतीयों की मांगों के अनुसार शासन में जल्द से जल्द सुधार लाने के उद्देश्य से आयोग की नियुक्ति समय से पूर्व की गयी थी, परन्तु वास्तविक कारण कुछ और ही थे.</p><p></p><p></p><p></p><p></p><p> </p><p></p></body></html>


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