1.

50 ओम प्रतिरोध की एक बन्द कुण्डली में 1000 फेरे है तथा यह सेमी क्षेत्रफल वाले आयताकार फ्रेम पर लपेटी गयी है। इस कुण्डली का तल वेबर मीटर के एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र के लम्ब्वत दिशा में है । कुण्डली को घुमाने पर उसमें बहते हुए आवेश की गणना कीजिए। क्या आपका यह उत्तर कुण्डली के घुमाने की गति पर निर्भर करेगा ?

Answer» चुम्बकीय क्षेत्र में क्षेत्र के लम्ब्वत स्थित क्षेत्रफल वाली कुण्डली के प्रत्येक फेरे में से गुजरने वाला चुम्बकीय फ्लस्क
`Phi_(1) = BA`.
कुण्डली को `180^(@)` घुमाने पर उससे गुजरने वाला चुम्बकीय फ्लस्क
`Phi_(2) = -BA`
`:.` चुम्बकीय फ्लस्क में परिवर्तन
`DeltaPhi = Phi_(2) - Phi_(1) = - BA - (BA) = - 2BA`.
माना की यह परिवर्तन सेकण्ड में होता हैं । फैराडे के नियमानुसार, कुण्डली में प्रेरित विधुत वाहक बल
`e = - N (DeltaPhi)/(Deltat) = (2 N B A)/(Deltat)`
जहाँ N कुण्डली में फेरों की संख्या हैं । कुण्डली में प्रेरित धारा
`i = (e )/(R) = 1/R (2N B A)/(Deltat)`
जहाँ परिपथ का प्रतिरोध है । अतः परिपथ में प्रवाहित आवेश
`q = i xx Deltat = (2NBA)/(DeltaR)`
प्रश्नानुसार `N = 1000, B = 0.4 "वेबर"//"मीटर"^(2), A = 4.0 "सेमी"^(2) = 4.0 xx 10^(-4) "मीटर"^(2)` तथा `R = 50"ओम"` |
`q = (2 xx 1000 xx (0.4 "वेबर"//"मीटर"^(2)) xx (4 xx 10^(-4) "मीटर"^(2)))/(50 "ओम")`
`= 6.4 xx 10^(-3) "कूलॉम"` ।
कुण्डली को धीरे से अथवा तेजी से घुमाने का प्रवाहित आवेश पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा । प्रवाहित आवेश का मान चुम्बकीय फ्लस्क में कुल परिवर्तन पर निर्भर करता है, न कि चुम्बकीय फ्लस्क में परिवर्तन की दर पर ।


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