1.

७ 2. परसवर्ण छत्व, तुकागम व्यञ्जन सन्धेः परिभाषां विलिख्य पञ्चउदाहरणानिलिखत? .​

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Answer:

नि: + अंतर = निरंतर । (i) यदि विसर्ग के बाद 'च' या 'छ' हो तो विसर्ग 'श' हो जाता है; 'ट' या 'ठ' हो तो 'ष्' तथा 'त्' या ' थ” हो तो 'स्' हो जाता है । (II) यदि विसर्ग के बाद श, ष या स आये तो विसर्ग अपने मूल रूप में बना रहता है, या उसके स्थान पर बाद का वर्ण हो जाता है ।

Explanation:

विसर्ग तथा व्यंजन या स्वर के परस्पर मेल से जो विकार उत्पन्न होता है उसे विसर्ग संधि कहते हैं। यदि प्रथम पद के अंत में “अ” स्वर के बाद विसर्ग आये तथा दूसरे पद के प्रारंभ में किसी भी वर्ग का 3, 4, 5, य, र, ल, व, है में से कोई एक वर्ण आये तो विसर्ग “उ” में बदल जाता है और “अ + उ को ओ” हो जाता है।

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