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7दौलत' पाय न कीजिए, सपने हू' अभिमान।चंचल जल दिन चारिको, ठाउँ न रहत निदान।।ठाउँ न रहत निदान, जियत जग में जस लीजै।मीठे वचन सुनाय, विनय सबही की कीजै।।कह गिरिधर कविराय, अरे यह सब घटा तौलत11पाहुन/2 निसिदिन13 चारि, रहत सबही के दौलत।। |
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Answer» I don't KNOW I don't know I don't know |
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