

InterviewSolution
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9; क्रिस्टल दोष से क्या अभिप्राय है?(UP-Diploma-2003, |
Answer» <p>क्रिस्टलीय ठोस के अवयवी कणों की व्यवस्था के क्रम में अनियमितता होने के कारण क्रिस्टल परिपूर्ण नहीं होते हैं, तथा उसमें दोष उत्पन्न हो जाता है। ठोस में उत्पन्न दोषों को क्रिस्टल दोष या ठोस में अपूर्णता कहते हैं।</p><p>ठोस में उत्पन्न दोष व्यापक रूप से दो प्रकार के होते हैं, जिन्हेंबिन्दु दोष (Point defects)तथारेखीय दोष (Line defects)कहा जाता है।</p><p>(1) बिन्दु दोष (Point Defects)</p><p>एक क्रिस्टलीय पदार्थ में के बिन्दु अर्थात एक परमाणु के चारों ओर की आदर्श वयवस्था में अनियमितता अथवा विचलन होना बिन्दु दोष कहलाता है।</p><p>(2) रेखीय दोष (Line Defects)</p><p>एक क्रिस्टल पदार्थ जालक बिन्दुओं की पूर्ण पंक्तियों की आदर्श व्यवस्था में अनियमितताएं अथवा विचलन होने रेखीय दोष कहलाता है।</p><p>बिन्दु दोष के प्रकार (Types of Point Defects)</p><p>ठोसों के बिन्दु दोष को तीन प्रकार में वर्गीकृत किया जा सकता है:</p><p>(क) स्टॉइकियोमीट्री दोष (ख) अशुद्धता दोष और (ग) नॉनस्टॉइकियोमीट्री दोष</p><p>(क) स्टॉइकियोमीट्री दोष (Stoichiometric Defects):</p><p>ठोसों में वैसे बिन्दु दोष, जो ठोस की स्टॉइकियोमीट्री (Stoichiometry) को विक्षुब्ध (Disturb) या प्रभावित नहीं करते हैं, स्टॉइकियोमीट्री दोष (Stoichiometric Defects) कहलाता है। स्टॉइकियोमीट्री दोष को आंतर दोष (Intrinsic Defects) अथवा उष्मागतिकी दोष (Themodynamic defects) भी कहा जाता है।</p><p>स्टॉइकियोमीट्री दोष (Stoichiometric Defects) मुख्यत: दो प्रकार का होता है: (i) रिक्तिका दोष (Vacancy defect) और (ii) अंतरकाशी दोष (Interstitial Defect)</p><p>(i) रिक्तिका दोष (Vacancy defect)</p><p>जब कुछ जालक स्थल रिक्त हों, तो इसे क्रिस्टल में रिक्तिका दोष कहा जाता है। रिक्तिका दोष घनत्व को कम कर देता है। पदार्थ को गर्म करने पर भी इस प्रकार का रिक्तिका दोष उत्पन्न हो सकता है।</p> | |