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नारीवादराजनैतिक आंदोलनका एकसामाजिक सिद्धांतहै जो स्त्रियों के अनुभवों से जनित है। हालाकि मूल रूप से यह सामाजिक संबंधो से अनुप्रेरित है लेकिन कई स्त्रीवादी विद्वान का मुख्य जोर लैंगिक असमानता औरऔरतों के अधिकारइत्यादि पर ज्यादा बल देते हैं।

नारीवादी सिद्धांतो का उद्देश्य लैंगिक असमानता की प्रकृति एवं कारणों को समझना तथा इसके फलस्वरूप पैदा होने वाले लैंगिक भेदभाव की राजनीति और शक्ति संतुलन के सिद्धांतो पर इसके असर की व्याख्या करना है। स्त्री विमर्श संबंधी राजनैतिक प्रचारों का जोरप्रजनन संबंधी अधिकार,घरेलू हिंसा,मातृत्व अवकाश,समान वेतन संबंधी अधिकार,यौन उत्पीड़न,भेदभावएवंयौन हिंसापररहता है।



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