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आभास लगान की व्याख्या कीजिए।याआभास लगान की संकल्पना को समझाइए।

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आभास लगान – आभास लगान का विचार सर्वप्रथम प्रो० मार्शल ने प्रस्तुत किया। प्रो० मार्शल के अनुसार, “कुछ ऐसे साधन हो सकते हैं जिनकी पूर्ति अल्पकाल में निश्चित होती है और जिनके कारण उन्हें लगान के प्रकार का भुगतान प्राप्त होता है। मनुष्य के द्वारा निर्मित मशीनों तथा अन्य , यन्त्रों की पूर्ति अल्पकाल में तो निश्चित होती है किन्तु दीर्घकाल में उसमें परिवर्तन किये जा सकते हैं, क्योंकि उनकी पूर्ति भूमि की भाँति दीर्घकाल में निश्चित नहीं होती, इसलिए इनकी आय को लगान नहीं कहा जा सकता; परन्तु इनकी पूर्ति अल्पकाल में निश्चित होती है. इसलिए अल्पकाल में इनकी आय लगान की भाँति होती है, जिसे आभास लगान कहा जाता है।” आभास लगान, जैसा कि इसके नाम से ही स्पष्ट है, यह आय वास्तव में लगान न होकर लगान की प्रकार आभासित होती है। मनुष्य द्वारा निर्मित पूँजीगत वस्तुओं की पूर्ति अल्पकाल में निश्चित होती है, इस कारण उन्हें लगान मिलता है।
जिस प्रकार भूमि की पूर्ति सीमित होती है, उसी प्रकार अन्य साधनों की पूर्ति भी अल्पकाल में सीमित हो सकती है। भूमि में सीमितता का गुण स्थायी रूप से विद्यमान है, इसी कारण इसकी आय को लगान कहा जाता है। भूमि तथा अल्पकाल में सीमित साधनों में सीमितता का गुण समान होने के कारण अन्य साधन जो अस्थायी रूप से सीमित हैं, उनकी आय को आभास लगान कहते हैं। इस प्रकार अल्पकाल में मनुष्य द्वारा निर्मित पूँजीगत वस्तुओं, अधिक योग्यता वाले श्रमिकों और साहसियों की आय में भी आभास लगान सम्मिलित होता है।

प्रो० मार्शल के अनुसार, “उत्पत्ति के उपकरणों (मशीन अर्थात् पूँजीगत वस्तुओं) से प्राप्त होने वाली शुद्ध आय को उनका आभास लगान इसलिए कहा जा सकता है, क्योंकि बहुत अधिक अल्पकाल में उन उपकरणों की पूर्ति अस्थायी रूप से स्थिर होती है और उसे माँग के अनुसार घटाना-बढ़ाना सम्भव नहीं होता। कुछ समय तक वे उन वस्तुओं के मूल्य के साथ, जिनके पैदा करने में उन्हें प्रयोग किया जाता है, वही सम्बन्ध रखते हैं जो भूमि अथवा सीमित पूर्ति वाले किसी अन्य प्राकृतिक उपहार का होता है और जिनकी आय शुद्ध लगान होती है।” इस प्रकार प्रो० मार्शल ने पूँजीगत वस्तुओं, जिनकी पूर्ति अल्पकाल में बेलोचदार तथा दीर्घकाल में लोचदार होती है, की अल्पकालीन आयों के लिए आभास लगान शब्द का प्रयोग किया है।
मार्शल के अनुसार, “मशीन (अर्थात् पूँजीगत वस्तुओं) की अल्पकालीन आय में से उसको चलाने की अल्पकालीन लागत को घटाने से जो बचत प्राप्त होती है, उसे आभास लगान कहते हैं। आभास लगान यह बताता है कि मशीन की अल्पकालीन आय उसके चलाने की अल्पकालीन लागत से कितनी अधिक है। इस प्रकार आभास लगान अल्पकालीन लागत के ऊपर एक प्रकार की अल्पकालीन बचत है।’
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि आभास लगान केवल अल्पकाल में प्राप्त होता है। यह एक अस्थायी आधिक्य है जो पूँजीगत वस्तुओं पर केवल अल्पकाल में प्राप्त होता है और दीर्घकाल में उसकी पूर्ति बढ़ जाने के कारण समाप्त हो जाता है।

प्रो० स्टोनियर व हेग के शब्दों में – “मशीनों की पूर्ति अल्पकाल में निश्चित होती है, भले ही उससे प्राप्त आय अधिक हो अथवा कम, फिर भी वे एक प्रकार का लगान अर्जित करती हैं। हाँ, दीर्घकाल में यह आभास लगान समाप्त हो जाता है, क्योकि यह पूर्ण लगान न होकर समाप्त हो जाने वाला अर्द्ध-लगान ही होता है।”
मार्शल के अनुसार, “आभास लगान पूँजीगत साधनों की अल्पकालीन लागत के ऊपर अल्पकालीन बचत है, जिसको अल्पकालीन आय में से अल्पकालीन लागत को घटाकर प्राप्त किया जाता है।”

सिल्वरमैन के अनुसार, “आभास लगान तकनीकी रूप में उत्पत्ति के उन साधनों को किया गया अतिरिक्त भुगतान है जिनकी पूर्ति अल्पकाल में स्थिर तथा दीर्घकाल में परिवर्तनशील होती है।” संक्षेप में, आभास लगान कुल आगम तथा कुल परिवर्तनशील लागत को अन्तर है। सूत्र रूप में, आभास लगान = कुल आगम – परिवर्तनशील लागते
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