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आजादी से पहले भारतीय समाज में कौन कौन सी कुरीतिया पृचलित चलित थी? |
| Answer» TION:जागरण संवाददाता, अंबाला : जब स्कूल में पढ़ते थे, तब समाज में बहुत सी कुरीतियां फैली देखीं, लेकिन उम्र कम थी, जिससे उनके खिलाफ बोल नहीं सकते थे, लेकिन मन में सोच लिया था कि एक दिन समाज में फैली इन कुरीतियों के प्रति आवाज बुलंद कर समाज को जागरूकता की राह पर ले जाना है। फिर चाहे जिंदगी में कितने भी उतार चढ़ाव क्यों न आ जाए। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती गई समाज में फैली कुरीतियों के प्रति मन में नफरत बढ़ती गई। यह कहना है सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ सालों से लोगों में जागरूकता की अलख जगाने वाले तरुण कौशल का।समाजसेवक तरुण कौशल का कहना है कि महिला और पुरुष समाज के अभिन्न अंग है। दोनों समाज रूपी गाड़ी के दो पहिये है। यदि एक पहिया कमजोर होगा तो गाड़ी रुक सकती है। और सामाजिक संतुलन खतरे में पड़ सकता है। ऐसे में समतामूलक समाज की स्थापना का प्रयास अधूरा रह सकता है। कन्या बचाओ, महिला उत्पीड़न, जात-पात, भेदभाव सहित सामाजिक मुद्दों पर जिले के विभिन्न क्षेत्रों में वर्ष 1999 से प्रयास कर लोगों की संवेदनाओं को झकझोर कर समाज में समता लाने के लिए ग्रामीणों को जागरूक करने का काम कर रहे हैं वर्ष 2003 से भ्रूणहत्या और महिला उत्पीड़न के खिलाफ लोगों को जागरूक करने के खिलाफ एक मुहिम छेड़ी। वर्ष 2010 में संकल्प उठाओ बेटी बचाओ अभियान और महिला उत्पीड़न के खिलाफ जिले में मुहिम चलाकर समाज में फैली सामाजिक कुरीतियों पर प्रहार किया। | |