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आपके विचार से क्या शिक्षा के वैयक्तिक उद्देश्य को शिक्षा का एकमात्र उद्देश्य माना जा सकता है ?

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शिक्षा के वैयक्तिक उद्देश्य के अन्तर्गत व्यक्ति के विकास को प्राथमिकता दी जाती है तथा समाज के विकास की ओर प्राय: कोई ध्यान नहीं दिया जाता; अर्थात् उसकी अवहेलना ही की जाती है। शिक्षा के इस उद्देश्य को शिक्षा का एकमात्र उद्देश्य स्वीकार कर लेने की स्थिति में व्यक्ति में अहम् भाव का आवश्यकता से अधिक विकास हो जाने की आशंका रहती है। इस दशा में यह आशंका रहती है कि बालक उद्दण्ड न बन जाए। इन परिस्थितियों में कुछ बालक समाज-विरोधी कार्य भी कर सकते हैं। हमारा विचार है। कि यदि शिक्षा के वैयक्तिक उद्देश्य को ही शिक्षा का एकमात्र उद्देश्य स्वीकार कर लिया जाए तो बच्चों में सामाजिक सद्गुणों (अर्थात् सहयोग, सहानुभूति तथा सामाजिक एकता आदि) का समुचित विकास नहीं हो पाता। इन समस्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए हम कह सकते हैं कि शिक्षा के वैयक्तिक उद्देश्य को शिक्षा का एकमात्र उद्देश्य नहीं माना जा सकता।



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