InterviewSolution
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“आर्थिक समानता के अभाव में राजनीतिक स्वतन्त्रता निरर्थक है।” स्पष्ट कीजिए।या आर्थिक समानता के बिना राजनीतिक स्वतन्त्रता एक भ्रम है।” इस कथन की विवेचना कीजिए। |
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Answer» प्रो० लॉस्की ने लिखा है, “राजनीतिक समानता आर्थिक समानता के बिना निरर्थक है; क्योंकि राजनीतिक शक्ति आवश्यक रूप से आर्थिक शक्ति के हाथों में खिलवाड़ ही सिद्ध होगी। यदि व्यक्ति को समस्त राजनीतिक अधिकार; जैसे-मतदान का, चुनाव में प्रत्याशी होने का, सार्वजनिक पद धारण करने का आदि दे दिए जाएँ परन्तु उसे पेट भर खाना न मिले तो उसके लिए सम्पूर्ण प्रदत्त राजनीतिक अधिकार व्यर्थ हैं। एक गरीब व्यक्ति का धर्म, ईमान व राजनीति आदि सब-कुछ रोटी तक ही सीमित हैं। भारत में नागरिकों को मत अधिकार है पर रोजी छोड़कर मतदान केन्द्र पर जाने का परिणाम क्या होगा। लोगों को चुनाव में खड़े होने का अधिकार है, किन्तु चुनाव कितने महँगे होते हैं। क्या एक सामान्य व्यक्ति चुनाव लड़ सकता है। सामान्य व्यक्ति के पास जीवन-यापन करने के सीमित साधन होते हैं, फिर वह राजनीतिक अधिकारों का कैसे उपभोग करेगा? समाजवादी विचारक इस बात पर बल देते हैं कि आर्थिक स्वतन्त्रता के बिना राजनीतिक स्वन्तत्रता व्यर्थ है। राजनीतिक स्वतन्त्रता की उपलब्धि के लिए आर्थिक सुरक्षा की व्यवस्था की जानी चाहिए। आर्थिक विषमता को समाप्त करना। चाहिए जिससे मनुष्य का शोषण न हो। |
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