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आशय स्पष्ट कीजिए: न्याय और नीति सब लक्ष्मी के ही खिलौने हैं।

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किसी भी काम को नौति-सिद्धांत के अंतर्गत करने की व्यवस्था होती है। नियम-कानून के विरुद्ध कोई काम करने को अपराध माना जाता है और उसके लिए दंड की व्यवस्था होती है। पर कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो अधिकारियों को पैसे खिलाकर उनसे गलत-सही हर प्रकार का काम करवा लेते हैं। वे यह समझने लगते हैं कि न्याय और नीति उनके हाथ के खिलौने हैं और पैसों के बल पर उन्हें जब चाहें तब खरीदा जा सकता है। पंडित अलोपीदीन की यही मान्यता है।



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