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आउट-सोर्सिंग द्वारा उपलब्ध किन्हीं दो सेवाओं के विषय में लिखिए ।

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जब कोई निर्मात्री इकाई जो कार्य खुद करती थी, वे कार्य वह दूसरों से, ब्राह्य पक्षकारों से करवा ले तो उसको आउट-सोर्सिंग के नाम से जाना जाता है । अंग्रेजी में इसके लिए स्टान्डर्ड एब्रीवेशन – मिताक्षरी है B.P.O. बी.पी.ओ. जिसका पूरा स्वरूप है बिजनेस प्रोसेसींग आउट-सोर्सिंग । उदाहरण के तौर पर शर्ट बनानेवाली गारमेन्ट फैक्टरी शर्ट का कोलर जो कैनवास के अस्तरवाला होता है उसे अन्य कंपनी से तैयार करवा ले तो उसको आउट-सोर्सिंग कहा जाता है । कभी-कभी मटीरियल्स की कमी के कारण या मजदूरों के अभाव से या टेक्नोलॉजी की वजह से यह कॉलर तैयार करने का कार्य दूसरों को देना पड़ता है । आउट-सोर्सिंग से लागत भी कम होती है तथा निष्णात टेक्नीश्यनों का लाभ भी मिलता है । आउट-सोर्सिंग से रोजगारी के अवसर भी बहुत ही बढ़े हैं । आधुनिक वाणिज्य एवं बिजनेस क्षेत्रों में खास कर मल्टीनेशनल कोर्पोरेशन द्वारा यह क्षेत्र खुला है । इसमें बहुत-सी सेवाएँ आउट-सोर्सिंग द्वारा ही ली जाती हैं ।

उदाहरण : बड़ी कंपनियाँ अपने स्टाफ के लिए प्रशिक्षण-विभाग रखती थीं, लेकिन आउट-सोर्सिंग का फायदा उठाने और ट्रेनिंग विभाग का स्थायी खर्च कम करने हेतु यह कार्य आउट-सोसिंग द्वारा लाभप्रद रहता है और बाहरी विशेषज्ञों की सेवा का फायदा भी मिलता है । इन्टरनेट के जरिए जिस क्षेत्र के कर्मचारी को ट्रेनिंग देनी है उसकी अनिवार्य सूचनाएँ भी प्राप्त की जाती है । इसी तरह से कर्मचारी के कार्य के संदर्भ में उपयोगी ट्रेनर बाहर से अल्पकालीन समय के लिए नियुक्त करके अच्छी तालीम या प्रशिक्षण की सुविधा मिलती है ।

इसी प्रकार विज्ञापन-विभाग बंद करके बाह्य एड-एजन्सी को काम सौंपना भी आउट-सोर्सिंग है, जिससे अद्यतन ढंग से विज्ञापन करने का लाभ कंपनी पा सकती है । यह काम त्वरित, कम लागतवाला तथा गुणात्मक बनता है ।



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