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Answer» व्यक्ति की आवश्यकताएँ अनन्त होती हैं तथा वे कभी भी पूर्ण नहीं होतीं। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए मानवीय आवश्यकताओं का एक व्यवस्थित वर्गीकरण किया गया है। इस वर्गीकरण के अन्तर्गत समस्त मानवीय आवश्यकताओं को तीन वर्गों में रखा गया है। ये वर्ग हैं-अनिवार्य आवश्यकताएँ, आरामदायक आवश्यकताएँ तथा विलासात्मक आवश्यकताएँ। इन तीनों प्रकार की आवश्यकताओं का संक्षिप्त परिचय निम्नवर्णित है (1) अनिवार्य आवश्यकताएँ: मानव जीवन के लिए अत्यधिक अनिवार्य आवश्यकताओं को इस वर्ग में सम्मिलित किया जाता है। इस वर्ग की मानवीय आवश्यकताओं को व्यक्ति की मौलिक आवश्यकताएँ भी कहा जाता है। इस वर्ग की आवश्यकताओं की पूर्ति के अभाव में मनुष्य का जीवन भी कठिन हो जाता है। मुख्य रूप से भोजन, वस्त्र तथा आवास को इस वर्ग की आवश्यकताएँ माना गया है। व्यापक रूप से इस वर्ग में भी तीन प्रकार की आवश्यकताओं को सम्मिलित किया जाता है, जिन्हें क्रमशः जीवनरक्षक अनिवार्य आवश्यकताएँ, कार्यक्षमतारक्षक अनिवार्य आवश्यकताएँ तथा प्रतिष्ठारक्षक अनिवार्य आवश्यकताएँ कहा जाता है। (2) आरामदायक आवश्यकताएँ: इस वर्ग में उन आवश्यकताओं को सम्मिलित किया जाता है। जिनकी पूर्ति से व्यक्ति का जीक्न निश्चित रूप से अधिक सुखी तथा सुविधामय हो जाता है। उदाहरण के लिए – विभिन्न घरेलू उपकरण इसी वर्ग की आवश्यकताएँ हैं। इन उपकरणों को अपनाकर जीवन अधिक सरल हो जाता है। (3) विलासात्मक आवश्यकताएँ: इस वर्ग में उन आवश्यकताओं को सम्मिलितं किया जाता है। जो व्यक्ति की विलासात्मक इच्छाओं से सम्बन्धित होती हैं। इन आवश्यकताओं की पूर्ति के अभाव में न तो व्यक्ति के जीवन पर कोई प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और न ही व्यक्ति की कार्यक्षमता ही घटती है। विलासात्मक आवश्यकताएँ भिन्न-भिन्न समाज में भिन्न-भिन्न होती हैं। विलासात्मक आवश्यकताएँ भी तीन प्रकार की होती हैं, जिन्हें क्रमशः हानिरहित विलासात्मक आवश्यकताएँ, हानिकारक विलासात्मक आवश्यकताएँ तथा सुरक्षा सम्बन्धी विलासात्मक आवश्यकताएँ कहा जाता है। अधिक महँगी कार, आलीशान भवन, महँगे तथा अधिक संख्या में वस्त्र रखना हानिरहित विलासात्मक आवश्यकताओं की श्रेणी में आते हैं। भोग-विलास के साधने नशाखोरी तथा नैतिक एवं चारित्रिक पतन के साधनों को अपनाना हानिकारक विलासात्मक आवश्यकताओं से सम्बद्ध हैं। जहाँ तक सुरक्षात्मक विलासात्मक आवश्यकताओं का सम्बन्ध है, इनमें बहुमूल्य गहनों तथा विभिन्न सम्पत्तियों को सम्मिलित किया जाता है। ये वस्तुएँ व्यक्ति के संकट-काल में सहायक होती हैं।
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