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"अधिकार सामाजिक जीवन की वे स्तिथियाँ है जिनके बिना कोई भी व्यक्ति सामान्य रूप से स्वयं अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन नहीं कर सकता " किसने कहा ? ​

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सामाजिक जीवन की वे स्तिथियाँ है जिनके बिना कोई भी व्यक्ति सामान्य रूप से स्वयं अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन नहीं कर सकता "।​यह कथन ब्रिटेन के प्रसिद्ध राजनीतिक सिद्धांतकार, अर्थशास्त्री एवं लेखक ‘हेरोल्ड जोसेफ लॉस्की’ की ने कहा था। ‘हैरोल्ड जोसेफ लॉस्की’ ने अधिकार के संबंध में यह कथन कहा था कि....“अधिकार मानव जीवन की ऐसी परिस्थितियां हैं. जिनके बिना सामान्यतः कोई भी व्यक्ति अपने व्यक्तित्व का पूर्ण विकास नहीं कर सकता”।  हैरोल्ड जोसेफ लॉस्की का जन्म इंग्लैंड के मैनचेस्टर नगर में हुआ। वे एक यहूदी परिवार से ताल्लुक रखते थे।  अधिकार के संबंध में कुछ अन्य विद्वानों के कथन इस प्रकार हैं.... एल.टी.हॉबहाउस ► “अधिकार तथा कर्तव्य सामाजिक कल्याण की दशाएं हैं- समाज के प्रत्येक सदस्य का इस कल्याण के प्रति द्वैध संबंध है। उसका उसमें एक भाग है, यह उसका अधिकार है। उसको इसमें एक भाग देना है, यह उसका कर्तव्य है।” बोसांके ► “अधिकार वह मांग है, जिसे समाज स्वीकार करता है और राज्य लागू करता है।” नॉर्मल वाइल्ड के अनुसार ► “अधिकार कुछ विशेष कार्यों को करने की स्वाधीनता की उचित मांग है।” हॉलैंड के अनुसार ► “व्यक्ति द्वारा अन्य व्यक्तियों के कार्यों को स्वयं अपनी शक्ति से नहीं वरन समाज के बल पर प्रभावित करने की क्षमता को अधिकार कहते हैं।” सालमंड ► “सत्य के नियम द्वारा रक्षित हित का नाम ही अधिकार है।” श्रीनिवास शास्त्री ► “अधिकार, समुदाय के कानून द्वारा स्वीकृत वह व्यवस्था, नियम या रीति है जो नागरिक के सर्वोच्च नैतिक कल्याण में सहायक है।”☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼



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