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Adhunik Technology Ke Chalte Pashu ki sankhya Mein girawat Jati ja rahi hai kisano ke Madhyam se​

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विज्ञान के अंधाधुंध दुरुपयोग के चलते प्रकृति के स्वरूप पर बेहद बुरा असर पड़ा है। कृषि के क्षेत्र में भी आधुनिक तकनीक के प्रयोग ने प्राकृतिक सन्तुलन को बिगाड़ने का काम किया है।

उदाहरणतः दिनोंदिन बढ़ते जा रहे पेस्टिसाइड के प्रयोग की वजह से फसल के लिए नुकसानदायक कीड़े तो मरते ही हैं अपितु मित्र-कीट भी मर जाते हैं। इन कीटों को खाकर कई तरह के पशु-पक्षी अपना पेट भरते थे। परंतु इस प्रकार के दुरुपयोग की वजह से उनकी फ़ूड चेन का संतुलन बिगड़ गया है।

इसी तरह कांटेदार फेंसिंग की वजह से नीलगाय, रोज जैसे जीव उलझकर जख्मी हो जाते हैं। उनके प्राकृतिक निवास में आए परिवर्तन की वजह से उनकी संख्या भी कम होती जा रही है।

पशुपालक किसान दूध की मात्रा बढ़ाने के लिए गाय, भैंसों को तरह तरह के इंजेक्शन लगाते हैं। इन इंजेक्शन के अवयव गोबर, मूत्र में मिलकर अन्य पशुओं की मौत का कारण बनते हैं।



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