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अनुच्छेद यदि मई सैनिक होता

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यदि में सैनिक होता तो अपना कर्तव्य पूरी ईमानदारी से निभाता। अपने देश की सुरक्षा व्यवस्था को भंग करने वालों को मुँहतोड़ जवाब देता। जब तक इस शरीर में जान होती अपने देश की रक्षा करता। एक सैनिक का कर्तव्य होता है कि वह देश की सुरक्षा के लिए किसी भी सीमा को पार कर जाए। मेरी भी यही इच्छा रही है। जब मैं छोटा था तो 26 जनवरी के दिन सैनिकों को देखकर गर्व से फूल जाता था। तभी से मैंने निश्चय किया की मैं भारतीय सेना में अपना भविष्य तलाशूँगा। आज देश के युवाओं में देश के प्रति प्रेमभावना और कर्तव्यभावना में कमी देखी जाती है। युवा सेना को छोड़कर हर क्षेत्र में भविष्य आजमाना चाहते हैं। परन्तु अपनी जान जोखिम में नहीं डालना चाहते हैं। मैं सैनिक बनकर उन्हें इस कार्य के लिए प्रोत्साहित करूँगा। क्योंकि यदि देश का हर युवा अपनी जान की परवाह करेगा, तो देश सुरक्षित नहीं रह पाएगा। मैं युद्ध मैदान में नही अपितु देश के अंदर भी अपने कर्तव्यों का निर्वाह पूरी निष्ठा और भक्ति से करूँगा।



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