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अपनी क्षेत्र में उपलब्ध प्रमुख खाद एवं उर्वरक को सूचीबद्ध करते हुए प्रमुख फसलों हेतु उनकी उपयोगिता दर्शाइए​

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खाद और उर्वरक अति प्राचीन काल से ही यह ज्ञात रहा है कि खेतों की उपज बढ़ाने के लिए खाद की आवश्यकता होती है और तब से खाद के रूप में हड्डियाँ, काठ की राख, मछलियाँ और चूना पत्थर प्रयुक्त होते आ रहे हैं। पर ऐसा क्यों होता है, इसका कारण उन दिनों मालूम नहीं था।पौधों की वृद्धि के लिए जो विभिन्न पोषक तत्व उपयुक्त होते हैं, उनके प्रभाव के उचित मूल्यांकन के लिए यह जानना आवश्यक है कि मिट्टी से पौधों को (1) आवश्यक पोषण तत्व, (2) जल के भंडार, (3) जड़ के श्वसन के लिए ऑक्सीजन और (4) सीधा खड़े रहने के लिये सहारा कैसे प्राप्त होते हैं।पौधों के सूखे ऊतकों के भार का लगभग 95 प्रतिशत केवल कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन का बना होता है। ये तीनों तत्व पौधों को वायु और जल से प्राप्त होते हैं। ये तत्व प्रकाश संश्लेषण के जटिल प्रक्रमों द्वारा पौधों के ऊतक बनाते हैं (द्र. प्रकाश संश्लेषण)। पौधों की वृद्धि के लिए कुछ अन्य आवश्यक वस्तुओ, जैसे विटामन, हारमोन तथा अन्य संकीर्ण कार्बनिक पदार्थों का निर्माण पौधों के अंदर होता है।उपर्युक्त तत्वों के अतिरिक्त पौधों की वृद्धि के लिए कुछ और तत्वों की आवश्यकता होती है। इनमें कुछ को मुख्य तत्व और कुछ को अल्प तत्व कहते हैं। मुख्य तत्वों में कैलसियम, मैग्नीशियम, पोटैशियम, नाइट्रोजन, फास्फोरस और गंधक है। अल्प तत्वों में ताँबा, मैंगनीज, जस्ता लोहा, मोलिबडेनम और बोरन है ।जहाँ तक मिट्टी की उर्वरता का संबंध है, नाइट्रोजन (N), फास्फोरस (P) और पोटैशियम (K) बहुत अधिक महत्व के हैं। इन्हें NPK कहते हैं। ये अपेक्षया बड़ी मात्रा पौधों द्वारा मिट्टी से अवशोषित होते हैं। इस कारण ये तत्व मिट्टी से जल्द निकल जाते हैं और इनकी कमी हो जाती है। ये तत्व जलविलय रूप में पौधों द्वारा अवशोषित होते हैं। यदि ये तत्व विलेय रूप में न होते हो मिट्टी में रहते हुए भी पौधों को उपलब्ध न होते।



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