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अति-अल्पकालीन बाजार क्या है ?

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जब किसी वस्तु की माँग बढ़ने से उसका लेशमात्र भी सम्भरण (पूर्ति) बढ़ाने का समय नहीं मिलता तब ऐसे ब्राजार को अति-अल्पकालीन बाजार कहते हैं अर्थात् पूर्ति की मात्रा केवल भण्डार तक ही सीमित होती है। इसे दैनिक बाजार भी कहते हैं। शीघ्र नष्ट हो जाने वाली वस्तुओं – दूध, सब्जी, मछली, बर्फ आदि – का बाजार अति-अल्पकालीन बाजार होता है।



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