1.

औद्योगिक क्रांति किस प्रकार समाजशास्त्र के जन्म के लिए उत्तरदायी है?

Answer»

उत्पादन हेतु मशीनों के प्रयोग पर आधारित वह तकनीक, जिसने आधुनिक उद्योगों की नींव रखी, औद्योगिक क्रांति की देन है। इस क्रांति का प्रारंभ ब्रिटेन में 18वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध तथा 19वीं शताब्दी के शुरू में हुआ। भूमि के स्थान पर उद्योग धन का स्रोत बन गए। पुराने कुटीर उद्योग ढह गए तथा फैक्ट्रियों व कारखानों में काम करने के लिए दूर-दराज से मजदूर आकर इकट्ठे होने लगे। हाथ के कारीगर बेरोजगार हो गए; अतः वे कारखानों में काम करने के लिए मजबूर हो गए।

बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए बड़ी मात्रा में कच्चे माल की खपत होने लगी। निर्मित माल के विक्रय-के लिए बाजार का भी विस्तार आवश्यक हो गया। पश्चिमी यूरोप के देशों के लिए अंतर्राष्ट्रीय व्यापार खोजना स्वाभाविक बन गया। उद्योगपतियों की आपसी होड़ और अधिक-से-अधिक लाभ कमाने की प्रवृत्ति के परिणामस्वरूप कारखानों में मजदूरों की दशा दयनीय हो गई। औद्योगिक नगर समृद्धि के चारों ओर दर्दनाक गरीबी के साक्षी बन गए। पुराने सामाजिक मूल्य और परंपराएँ सामान्य जनता की आवश्यकताओं की पूर्ति में सहायक नहीं रह गए थे।

औद्योगिक क्रांति के परिणामस्वरूप सामाजिक जीवन में भी महत्त्वपूर्ण परिवर्तन हुए। न केवल ऊँच-नीच में वृद्धि हुई, अपितु लोग गाँव छोड़कर नगरों में रोजगार की तलाश में आने लगे। स्त्रियों और बच्चों तक को खतरनाक परिस्थितियों में काम करना पड़ा। मजदूर वर्ग के गरीब लोग झुग्गी-झोंपडियों वाली गंदी बस्तियों में रहने के लिए विवश हो गए। इन परिस्थितियों ने राज्यतंत्र को सार्वजनिक सामूहिक विषयों की जिम्मेदारी उठाने के लिए बाध्य कर दिया।

इन नई जिम्मेदारियों को निभाने के लिए शासनतंत्र को एक नवीन प्रकार की जानकारी व ज्ञान की आवश्यकता महसूस हुई। नए ज्ञान के लिए उभरती माँग ने समाजशास्त्र जैसे विषय के अभ्युदय एवं विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसीलिए शुरू से ही समाजशास्त्रीय विचार मुख्य रूप से औद्योगिक समाज के विकास के वैज्ञानिक आविष्कार से जुड़े हुए हैं।



Discussion

No Comment Found

Related InterviewSolutions