InterviewSolution
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                                    क्या आप कारण बता सकते हैं कि हमें उन चिंतकों के कार्यों का अध्ययन क्यों करना चाहिए जिनकी मृत्यु हो चुकी है। इनके कार्यों का अध्ययन करने के कारण क्या हो सकते हैं? | 
                            
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Answer»  किसी भी विषय को समझने के लिए उन चिंतकों का अध्ययन करना अनिवार्य है जिन्होंने उस विषय को विकसित करने में अथवा उसे आगे बढ़ाने में विशेष योगदान दिया है। ऐसे विद्वान् ‘शास्त्रीय चितंक’ कहलाते हैं जिनके विचारों को समझे बना विषय का ज्ञान प्राप्त नहीं किया जा सकता। स्वाभाविक है कि सभी विषय पुराने हैं और उनके प्रतिपादकों की मृत्यु हो गई है। यदि हम समाजशास्त्र का ही उदाहरण लें तो इसके जनक आगस्त कॉम्टे के अतिरिक्त एमाइल दुर्खोम, मैक्स वेबर, कार्ल मार्क्स, विलफ्रेडो पेरेटो आदि विद्वानों के विचारों को समझना जरूरी है। यही वे विद्वान हैं जिन्होंने न केवल इस विषय के निर्माण हेतु अपितु इसे वैज्ञानिक स्वरूप देने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने ही इस विषय में अध्ययन-अनुसंधान हेतु पद्धतिशास्त्र का भी निर्माण किया है। उनके द्वारा जो कार्य किए गए हैं वे उनकी शास्त्रीय रचनाओं में उपलब्ध हैं तथा उनके कार्यों को या रचनाओं को पढ़े बिना समाजशास्त्र को समझना संभव नहीं है। यदि हम उनके कार्यों का अध्ययन नहीं करेंगे तो विषय पर हमारी पकड़ अच्छी नहीं हो पाएगी। हम रटकर प्रश्न का उत्तर तो दे देंगे परंतु सामाजिक यथार्थता को पूर्णतया समझ नहीं पाएँगे।  | 
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