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बाघ बचाओ परियोजना के बारे में जानकारी प्राप्त कर लिखो |
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Answer» प्रोजेक्ट टाईगर (बाघ बचाओ परियोजना) की शुरुआत ७ अप्रैल १९७३ को हुई थी। इसके अन्तर्गत आरम्भ में ९ बाघ अभयारण्य बनाए गए थे। आज इनकी संख्या बढ़कर 50 हो गई है। सरकारी आकडों के अनुसार 2006 में १४११ बाघ बचे हुए है। 2010 में जंगली बाघों की संख्या 1701 हो गयी है। 2226 बाघ 2014 में प्राकृतिक वातावरण में थे। यह केन्द्र सरकार द्वारा प्रायोजित परियोजना है।वैज्ञानिक, आर्थिक, सौंदर्यपरक, सांस्कृतिक और पारिस्थितिकीय दृष्टिकोण से भारत में बाघों की वास्तविक आबादी को बरकरार रखने के लिए तथा हमेशा के लिए लोगों की शिक्षा व मनोरंजन के हेतु राष्ट्रीय धरोहर के रूप में इसके जैविक महत्व के क्षेत्रों को परिरक्षित रखने के उद्देश्य से केंद्र द्वारा प्रायोजित बाघ परियोजना वर्ष १९७३ में शुरू की गई थी।राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण तथा बाघ व अन्य संकटग्रस्त प्रजाति अपराध नियंत्रण ब्यूरो के गठन संबंधी प्रावधानों की व्यवस्था करने के लिए वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम १९७२ में संशोधन किया गया। बाघ अभयारण्य के भीतर अपराध के मामलों में सजा को और कड़ा किया गया। वन्यजीव अपराध में प्रयुक्त किसी भी उपकरण, वाहन अथवा शस्त्र को जब्त करने की व्यवस्था भी अधिनियम में की गई है। सेवानिवृत्त सैनिकों और स्थानीय कार्यबल तैनात करके १७ बाघ अभ्यारण्यों को शत-प्रतिशत अतिरिक्त केंद्रीय सहायता प्रदान की गई। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय संचालन समिति का गठन किया गया और बाघ संरक्षण फाउंडेशन की स्थापना की गई। संसद के समक्ष वार्षिक लेखा परीक्षा रिपोर्ट रखी गई। अभ्यारण्य प्रबंधन में संख्यात्मक मानकों को सुनिश्चित करने के साथ-साथ बाघ संरक्षण को सुदृढ़ करने के लिए ४-९-२००६ से राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण का गठन किया गया। |
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