InterviewSolution
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बेरोजगारी के स्वरूप जानने के लिए श्री राजकृष्ण ने प्रस्तुत किये मापदण्डों को समझाइए । |
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Answer» बेरोजगारी के स्वरूप जानने के लिए श्री राजकृष्ण समिति ने 2011-12 की रिपोर्ट में निम्नलिखित चार मापदण्ड प्रस्तुत किये है: (1) समय : जिस व्यक्ति को सप्ताह में 28 घंटे से कम काम मिलता हो तो उसे तीव्र रूप से बेरोजगार कहते हैं । और यदि सप्ताह में 28 घंटे से अधिक परंतु 42 घंटे से कम काम मिले तो वह बेरोजगारी की तीव्रता कम मानी जाती है । (2) आय : व्यक्ति को कार्य में से इतनी कम आय प्राप्त होती हो जिससे उसकी गरीबी दूर न हो तो वह आय की दृष्टि से बेरोजगार मान जाते हैं । भारत में ग्रामीण विस्तारों में इस प्रकार की बेरोजगारी अधिक देखने को मिलती है । जैसे : व्यक्ति को अपने परिवार के भरणपोषण के लिए महीने में रु. 30,000 की आवश्यकता है । परंतु व्यक्ति को वर्तमान कार्य में से रु. 15,000 या उससे कम ही प्राप्त कर सकता है । तब वह आय की दृष्टि से बेरोजगार है । (3) सहमति : जिस व्यक्ति को योग्यता से कम योग्यतावाला काम मिलता हो तब स्वीकार करना पड़ता है । तब उसको इस प्रकार के काम में से कम आय प्राप्त होने से अर्ध बेरोजगार कहा जाता है । (4) उत्पादकता : श्रमिक की वास्तविक उत्पादकता जो हो उसकी अपेक्षा वह व्यक्ति वर्तमान में कम उत्पादकता पर काम करता हो, तो उसकी उत्पादन शक्ति या उत्पादकता की अपेक्षा कम होगी । जैसे : कोई व्यक्ति एक दिन में 20 मीटर कपड़ा तैयार करने की क्षमता रखता है । परंतु वह 10 मीटर ही कपड़ा बना सके उतना ही काम मिलता हो । |
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