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भारत के विदेश व्यापार के कद में हुये परिवर्तनों को विस्तारपूर्वक समझाइए ।

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विदेश व्यापार का कद अर्थात् सरल शब्दों में कहें तो आयात और निर्यात होनेवाली भौतिक वस्तुओं का कुल मूल्य अथवा कुल जत्था ।

प्रतिवर्ष यदि आयात के लिए भुगतान और निर्यात में से होनेवाली आय बढ़ती जाये, देश की राष्ट्रीय आय में व्यापार के मूल्य का प्रतिशत हिस्सा बढ़ता जाये तथा विश्व व्यापार में देश के व्यापार का हिस्सा बढे तो वह देश के व्यापार का कद बढ़ा है। ऐसा कहेंगे ।

भारत के विदेश व्यापार के कद में हये परिवर्तनों को नीचे की तालिका में देखें :

1991 के बाद भारत के विदेश व्यापार का कद (मि. US $ में)

1991-’921998-’992014-’15
वस्तुओं की निर्यात17.933.2310.5
वस्तुओं की आयात19.442.4448.0
व्यापारतुला-1.5-9.2-187.5
  1. उपर की तालिका में स्वतंत्रता के आरम्भ के वर्षों में आर्थिक विकास की दर नीची होने से आयात का कद खूब अधिक है ।
  2. निर्यात करने की क्षमता नीची होने से निर्यात भी कम है ।
  3. 1980 के बाद भारत का विकास होने पर बड़े उद्योगों के टिकाने के लिए टेक्नोलोजिकल वस्तुओं के आयात में वृद्धि हुयी । जिससे उद्योगों के विकास के लिए आयात बढ़ा ।
  4. उद्योगों के विकास और विस्तार से लोगों की आय में वृद्धि हुयी जिससे देश में औद्योगिक वस्तुओं की माँग में वृद्धि हुयी । परिणाम स्वरुप निर्यात के लिए उत्पादन कम होने से निर्यात में कमी आयी ।
  5. 1991 के बाद निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि हुयी । वैश्विक स्पर्धा में टिके रहने के लिए टेक्नोलोजी, पेट्रोल आदि की आयात अधिक रही परंतु निर्यात के प्रमाण में वृद्धि हुयी ।


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