InterviewSolution
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भारत की जलवायु का कृषि तथा उद्योग-धन्धों/आर्थिक जीवन पर प्रभाव स्पष्ट कीजिए। |
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Answer» (क) कृषि जलवायु का प्रभाव कृषि कार्य और उत्पादन भारत को उद्योग/आर्थिक जीवन पर भी पड़ता है, जो निम्नवत् है 1. भारत में खरीफ फसलों की बुवाई वर्षा के आरम्भ होने के साथ शुरू हो जाती है। जब वर्षा समयसे प्रारम्भ हो जाती है और नियमित अन्तराल पर होती रहती है तब कृषि उत्पादन यथेष्ठ मात्रा में प्राप्त होता है। 2. जिन भागों में कम वर्षा होती है अथवा सूखा पड़ता है वहाँ कृषि फसलें सिंचाई के बिना पैदा नहीं की जा सकती हैं। 3. मूसलाधार वर्षा होते रहने से बाढ़ आ जाती है और बाढ़-प्रभावित क्षेत्रों में कृषि फसलें नष्ट हो ।जाती हैं तथा भारी धन-जन की हानि होती है। 4. समय से पूर्व वर्षा आरम्भ होने तथा समय से पहले वर्षा समाप्त होने से भी आर्थिक क्रियाकलाप प्रभावित होते हैं। 5. ग्रीष्म ऋतु में उत्तरी भारत में तापमान बहुत ऊँचे हो जाते हैं और गर्म लू चलने लगती है जिससे खेतों में काम करना कठिन हो जाता है अर्थात् आर्थिक क्षमता घट जाती है। 6. भारत में किसी वर्ष जलवृष्टि बहुत कम हो पाती है, जिससे फसलें नष्ट हो जाती हैं और देश में अकाल पड़ जाता है। इसके विपरीत कभी-कभी वर्षा इतनी अधिक हो जाती है, जिसके कारण नदियों में बाढ़ आ जाती है। इससे भी फसलें नष्ट हो जाती हैं। इस कारण भारत की कृषि को मानसून का जुआ कहा जाता है। 7. भारत की जलवायु के कृषकों को भाग्यवादी एवं निराशावादी बना दिया है। 8. चक्रवाती वर्षा के कारण पंजाब, हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश में गेहूं व गन्ने की फसलों को लाभ | मिलता है। 9. भारत में ग्रीष्मऋतु में हरे चारे की कमी हो जाती है जिससे पशुओं पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। (ख) उद्योग धन्ये/आर्थिक जीवन दक्षिणी भारत की जलवायु उत्तरी भारत की अपेक्षा अधिक सम है, समुद्री तट निकट होने के कारण यहाँ उष्णार्द्र जलवायु पाई जाती है। यही कारण है कि भारत में अधिकांश सूती वस्त्र की मिलें दक्षिणी भारत के महाराष्ट्र, गुजरात राज्यों के तटीय भागों में स्थित हैं। इसके विपरीत उत्तरी पर्वतीय भाग अधिक ठण्डा जलवायु प्रदेश है, इसीलिए वहाँ ऊनी वस्त्रों को कुटीर व लघु उद्योगों के रूप में विकसित किया गया है। इसी प्रकार मैदानी भाग में गन्ना उत्पादन की अनुकूल दशाओं के कारण चीनी उद्योग का पर्याप्त विकास हुआ है। |
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