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जलवायु की जानकारी देने के लिए कौन-कौन से यन्त्र प्रयोग किए जाते हैं ? संक्षेप में लिखें।

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किसी भी क्षेत्र की जलवायु की जानकारी के लिए बहुत से यन्त्रों का प्रयोग किया जाता है जिनका वर्णन इस प्रकार है:

  1. उच्चतम व न्यूनतम थर्मामीटर (Maximum and Minimum Thermometer)-तापमान का पता करने के लिए इस प्रकार के थर्मामीटर का प्रयोग किया जाता है। अगर किसी स्थान की जलवायु की जानकारी प्राप्त करनी है तो हमें वहां के तापमान की जानकारी का होना आवश्यक है। इस प्रकार का थर्मामीटर दो जुड़ी हुई नालियों के साथ बना होता है। एक नाली से रात्रि का न्यूनतम तापमान पता किया जाता है तथा दूसरी नाली से दिन का उच्चतम तापमान पता किया जाता है। तापमान को सैंटीमीटर ग्रेड अथवा फारेनहाइट की डिग्री में मापा जाता है।
  2. एनीराइड बैरोमीटर (Aniroid Barometer)-एनीराइड बैरोमीटर से वायु दबाव का पता किया जाता है। यह बैरोमीटर धातु की एक डिब्बी में से हवा निकाल कर उसे एक पतली सी चादर से बाँध दिया जाता है। डिब्बी में एक स्परिंग होता है। हवा के दबाव के कारण अंदर स्परिंग से लगी हुई सुई घूमती है। दबाव के अनुसार सुई अन्दर लिखे हुए आंकड़ों पर टिकेगी तथा इससे हमें वायु दबाव अथवा हवा के दबाव का पता चल जाएगा। हवा के दबाव को हमेशा मिली बार में बताया जाता है।
  3. सूखी व गीली गोली का थर्मामीटर (Dry and Wet Bulb Thermometer)-वायु में नमी को मापने के लिए इस प्रकार के थर्मामीटर को प्रयोग किया जाता है। इसमें दो अलग-अलग थर्मामीटर होते हैं। एक थर्मामीटर ने निचले सिरे पर मलमल के कपड़े की पट्टी बाँधी जाती है तथा पट्टी का निचला भाग पानी में रखा जाता है। यह कम तापमान बताता है। सूखी व गीली गोली थर्मामीटरों के तापमान के अन्तर का पता करके, उसके साथ दिए गए पैमाने की सहायता से हवा में नमी का पता किया जाता है। हवा में नमी हमेशा प्रतिशत में बताई जाती है।
  4. वर्षा मापक यन्त्र (Rain Gauge)-वर्षा को मापने के लिए वर्षा मापक यन्त्र का प्रयोग किया जाता है। वर्षा मापक यन्त्र के बीच लोहे या पीतल का एक गोल बर्तन होता है। इस बर्तन के मुँह पर एक कीप लगी होती है जिससे बारिश का पानी साथ लगी हुई बोतल में इकट्ठा हो जाता है। इस कारण यह वाष्प बनकर नहीं उड़ सकता। इस यन्त्र को एक खुले स्थान पर रखा जाता है ताकि बारिश का पानी इसमें आसानी से इकट्ठा हो सके। बारिश खत्म होने के पश्चात् पानी को एक शीशे के बर्तन में डाल दिया जाता है। जिस पर निशान लगे होते हैं। इन निशानों की सहायता से बताया जाता है कि कितनी वर्षा हुई है। वर्षा को इंच या सेंटीमीटर में बताया जाता है। .
  5. वायु वेग मापक (Anemometer) वायु वेग मापक को Anemometer कहा जाता है जिसे हवा की गति मापने के लिए प्रयोग किया जाता है। इसमें चार सींखों के साथ खाली कौलियां लगी होती हैं। चारों सीखें एक स्टैंड पर एक-दूसरे के साथ जोड़ी जाती हैं तथा यह सींखें पृथ्वी के समांतर होती हैं। जब हवा चलती है तो खाली कौलियां घूमने लग जाती हैं। इनके घूमने से स्टैंड पर लगी सुई भी घूमती है तथा हवा की गति उस पर लगे हुए आंकड़ों से पता चल जाती है।
  6. वायु वेग सूचक (Wind Wane)-वायु वेग सूचक को Wind Wane कहते हैं तथा इसे हवा की दिशा पता करने के लिए प्रयोग किया जाता है। इस यन्त्र पर मुर्गे की शक्ल तथा तीर का निशान बना होता है। यह मुर्गा या तीर एक सीधी लंबी धुरी पर घूमता है। इस मुर्गे के नीचे चार दिशाओं के नाम नीचे लगी सींखों के द्वारा दर्शाए जाते हैं। जब हवा चलती है तो मुर्गे अथवा तीर का निशान घूमकर उस तरफ हो जाता है जिस तरफ हवा आती है। इस प्रकार सीख पर लगे निशान से हवा की दिशा का पता चल जाता है।


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