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भारत में बेरोजगारी के प्रमुख कारण बताइए। बेरोजगारी को दूर करने के लिए उपयुक्त| सुझाव दीजिए।

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भारत में बेरोजगारी के कारण भारत में बेरोजगारी के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं

1. जनसंख्या में तीव्र वृद्धि–देश में जनसंख्या की वृद्धि-दर लगभग 1.93% वार्षिक रही है। इस प्रकार, जनसंख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है, लेकिन रोजगार की सुविधाओं में उस अनुपात में वृद्धि नहीं हुई है।
2. कुटीर उद्योगों का अभाव- भारत में कुटीर उद्योगों का ह्रास हो जाने के कारण भी बेरोजगारी में उत्तरोत्तर वृद्धि हुई है क्योंकि उनमें संलग्न लोगों को अन्य क्षेत्रों में रोजगार नहीं मिला है।
3. दोषपूर्ण शिक्षा-प्रणाली- हमारे देश में दोषपूर्ण शिक्षा-प्रणाली के कारण भी बेरोजगारी में वृद्धि हुई है। भारत में शिक्षा पद्धति व्यवसाय-प्रधान न होकर सिद्धान्त-प्रधान है, जो बेरोजगारी को जन्म दे रही है।
4. यन्त्रीकरण में वृद्धि – विकास की गति को तेज करने के लिए कृषि व उद्योगों में यन्त्रीकरण व आधुनिकीकरण की नीति को अपनाया जा रहा है, जिसके कारण अस्थायी बेरोजगारी को बढ़ावा मिला है।
5. श्रमिकों की गतिशीलता में कमी– शिक्षा का अभाव, पारिवारिक मोह, रूढ़िवादिता,अन्धविश्वास आदि भारतीय श्रमिक की गतिशीलता में बाधक हैं, जिसके कारण व्यक्ति घर पर बेकार रहना पसन्द करता है।
6. अविकसित प्राकृति साधन- यद्यपि हमारे देश में प्राकृतिक साधने पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं।तथापि उनका पूर्ण विदोहन नहीं हुआ है, जिसके कारण देश के औद्योगिक विकास की गति धीमी रही है।
7. तकनीकी ज्ञान का अभाव- देश के शिक्षित समुदाय में तकनीकी ज्ञान का अभाव है। वह केवल लिपिक बन सकता है, किसी भी व्यवसाय को आरम्भ करने की क्षमता उसमें नहीं है। इस कारण देश में शिक्षित बेरोजगारी की प्रचुरता है।
8. बचत तथा विनियोग की न्यून दर– प्रति व्यक्ति आय कम होने के कारण हमारे देश में बचत करने की शक्ति कम है, जिसके फलस्वरूप विनियोग भी कम होता है। विनियोग के अभाव में नवीन उद्योग स्थापित नहीं हो पाते।
9. शरणार्थियों का आगमन- म्यांमार, ब्रिटेन, श्रीलंका, कीनिया, युगाण्डा आदि देशों से भारतीयों के लौटने तथा पाकिस्तान के शरणार्थियों के आगमन के कारण बेरोजगारों की संख्या में वृद्धि रही
10. दोषपूर्ण विचार पद्धति–अधिकांश व्यक्ति पढ़ाई के पश्चात् नौकरी चाहते हैं। वे स्वयं अपना कोई कार्य करना पसन्द नहीं करते, जिससे रोजगार चाहने वालों की संख्या में निरन्तर वृद्धि हो रही
11. पूँजी-गहन परियोजनाओं पर अधिक बल–द्रिय योजना के प्रारम्भ से ही हमने आधारभूत उद्योगों के विकास पर अधिक बल दिया है, जिससे भारी इन्जीनियरी व रसायन उद्योगों में अधिक पूँजी तो लगाई गई, लेकिन उसमें रोजगार के अवसर ज्यादा नहीं खुल पाए।
12. रोजगार-नीति व अंम-शक्ति नियोजन का अभाव योजनाओं में रोजगार प्रदान करने केसम्बन्ध में कोई व्यापक व प्रगतिशील नीति नहीं अपनाई गई। श्रम-शक्ति नियोजन की दिशा में कोई विशेष प्रगति नहीं हुई। इसके फलस्वरूप देश में बेरोजगारी बढ़ी है।

बेरोजगारी को दूर करने हेतु सुझाव

बेरोजगारी के लिए उत्तरदायी कारणों से स्पष्ट है कि हमारे देश में बेरोजगारी का मूल कारण देश का मन्द आर्थिक विकास है। आज बेरोजगारी समय की सबसे बड़ी चुनौती है; अतः रोजगार की मात्रा में वृद्धि के लिए आर्थिक विकास के कार्यक्रमों की गति देनी ही होगी। इस समस्या को सुलझाने के लिए निम्नलिखित सुझाव दिए जा सकते हैं-

⦁    देश में श्रम-शक्ति की वृद्धि को रोकने के लिए जनसंख्या की वृद्धि पर प्रभावपूर्ण नियन्त्रण लगाया | जाए।

⦁    जन-शक्ति के उचित उपयोग के लिए जन-शक्ति का नियोजन (Man-power planning) किया जाए।
⦁    योजना में वित्तीय लक्ष्यों की उपलब्धि के साथ रोजगार लक्ष्यों की पूर्ति पर ध्यान केन्द्रित होना | चाहिए। अन्य शब्दों में, पंचवर्षीय योजनाओं को पूर्णरूपेण ‘रोजगार-प्रधान’ बनाया जाए।
⦁    कुटीर तथा लघु उद्योगों का विकास किया जाए। ग्रामीण क्षेत्रों में तो ये उद्योग ही सम्भावित रोजगार के केन्द्रबिन्दु हैं।
⦁    कृषि के विकास तथा हरित क्रान्ति को स्थायी बनाने के प्रयास किए जाएँ।
⦁    ग्रामीण औद्योगीकरण का विस्तार किया जाए।
⦁    बचत तथा विनियोग दर में वृद्धि का हर सम्भव प्रयास किया जाए, क्योंकि अधिक पूँजी का विनियोग रोजगार के अधिक अवसर प्रदान करेगा।
⦁    आर्थिक विकास के लिए उपयुक्त वातावरण तैयार करने की दृष्टि से शिक्षा-प्रणाली तथा सामाजिक व्यवस्था में वांछित परिवर्तन किया जाए।
⦁    रोजगार कार्यालयों (Employment Exchanges) द्वारा रोजगार सेवाओं का विस्तार किया जाए।
⦁    बेरोजगारी विशेषज्ञ समिति का सुझाव है कि रोजगार और जन-शक्ति के आयोजन के लिए एक राष्ट्रीय आयोग स्थापित किया जाए।



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