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भारत में सिंचाई की आवश्यकता के कारणों को समझाइए।

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भारत में सिंचाई की आवश्यकता

भारत में सिंचाई की आवश्यकता के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं

1. वर्षा की अनिश्चितता – भारत में वर्षा की मात्रा और समय अनिश्चित है। मानसूनी वर्षा कभी निश्चित समय से पहले शुरू होती है और कभी निश्चित समय से पहले खत्म हो जाती है। कभी बाढ़ आती है तो कभी सूखा पड़ जाता है, अत: मानसूनी वर्षा की इस अनिश्चितता के कारण अच्छी उपज लेने के लिए सिंचाई आवश्यक है।

2. वर्षा का असमान वितरण – भारत में वार्षिक वर्षा का औसत लगभग 118 सेमी है, लेकिन इसका क्षेत्रीय वितरण बहुत असमान है। चेरापूँजी और मासिनराम में वर्ष में 1200 सेमी से अधिक वर्षा होती है। इसके विपरीत पश्चिमी राजस्थान और लद्दाख में प्रतिवर्ष 20 सेमी से भी कम वर्षा होती है, अत: कम वर्षा वाले क्षेत्रों में अच्छी फसल के लिए सिंचाई आवश्यक है।

3. वर्षा का कुछ महीनों तक सीमित होना – भारत में 80 प्रतिशत वर्षा जून से सितम्बर तक केवल चार महीनों में ही होती है। उष्ण कटिबन्धीय देश होने के कारण ग्रीष्म ऋतु में तापमान ऊँचे रहते हैं, अतः सूखे के शेष चार महीनों में सिंचाई की सुविधाएँ जुटाना आवश्यक हो जाता है।

4. जनसंख्या वृद्धि – भारत की जनसंख्या निरन्तर बढ़ रही है। बढ़ी हुई जनसंख्या के लिए अतिरिक्त खाद्यान्न पैदा करने के लिए सिंचाई का उपयोग किया जाता है।

5. कुछ फसलों को अधिक जल चाहिए – चावल, गन्ना, जूट तथा सब्जियों को कुछ अन्तराल पर नियमित रूप से जल चाहिए। ऐसी फसलों के लिए पानी की पूर्ति सिंचाई द्वारा ही सम्भव है।

6. व्यापारिक फसलों के उत्पादन के लिए – व्यापारिक फसलों से किसान को अधिक आय होती है तथा देश को विदेशी मुद्रा मिलती है। ऐसी फसलों का उत्पादन सुनिश्चित सिंचाई से ही बढ़ सकता है।

7. वर्षा का बौछार के रूप में होना – मानसूनी वर्षा तेज बौछारों के रूप में होती है। ऐसी वर्षा का पानी बह जाता है तथा उसे धरातल में रिसने का अवसर ही नहीं मिलता है। ऐसे में भूमि प्यासी रह जाती है, अत: धरती की प्यास बुझाने के लिए सिंचाई आवश्यक हो जाती है।



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