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बहु-उद्देशीय नदी घाटी परियोजना से आप क्या समझते हैं ? दामोदर घाटी परियोजना कावर्णन निम्नलिखित शीर्षकों के अन्तर्गत दीजिए—(क) स्थिति, (ख) उपलब्धियाँ।यादामोदर नदी-घाटी परियोजना की स्थिति पर प्रकाश डालिए। इससे होने वाले किन्हीं चार लाभों की विवेचना कीजिए।यादामोदर घाटी परियोजना की स्थिति एवं महत्त्वों का वर्णन कीजिए।यादामोदर घाटी परियोजना के तीन महत्त्वों पर प्रकाश डालिए।

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दामोदर घाटी परियोजना

स्थितिदामोदर (हुगली की सहायक नदी) नदी का उद्गम स्रोत छोटा नागपुर की पहाड़ियाँ हैं, जो 610 मीटर ऊँची हैं। इस नदी की लम्बाई 530 किमी है, जो झारखण्ड में 290 किमी बहने के उपरान्त पश्चिम बंगाल राज्य में 240 किमी बहकर हुगली नदी से मिल जाती है। इसकी ऊपरी घाटी में वर्षा ऋतु में अत्यधिक वर्षा होने से भयंकर बाढ़े आती हैं, जो नदी के किनारों की मिट्टी काटकर बहा ले जाती हैं। इससे करोड़ों रुपये की हानि उठानी पड़ती है। दामोदर नदी अपनी भयंकर बाढ़ों के लिए कुख्यात थी। इसकी बाढ़ से लगभग 18,000 वर्ग किमी भूमि प्रभावित होती थी। इसी कारण इस नदी को ‘बंगाल का शोक’ कहा जाता था।

सन् 1948 ई० में भारत सरकार ने दामोदर घाटी के सर्वांगीण विकास हेतु दामोदर घाटी निगम (Damodar Valley Corporation) की स्थापना की। इस निगम का मुख्य उद्देश्य दामोदर घाटी का आर्थिक विकास करना तथा सिंचाई, जल-विद्युत की सुविधाओं में वृद्धि कर बाढ़ों पर नियन्त्रण पानी एवं अन्य उद्देश्यों को पूर्ण करना है, जिससे इस प्रदेश का बहुमुखी आर्थिक विकास हो सके।

दामोदर घाटी परियोजना के अन्तर्गत आठ बाँध एवं एक बड़े अवरोधक को बनाया गया है। दामोदर नदी पर पंचेत पहाड़ी, अय्यर एवं बम बाँध; बाराकर नदी पर मैथान, बाल पहाड़ी एवं तिलैया बाँध; बोकारो नदी पर बोकारो बाँध तथा कोनार नदी पर कोनार बाँध बनाये जाने प्रस्तावित हैं, जिनमें चार बाँध–तिलैया, कोनार, पंचेत पहाड़ी तथा मैथान बन चुके हैं। एक बड़ा अवरोधक दुर्गापुर के समीप निर्मित किया गया है, जिसमें लगभग 2,500 किमी लम्बी नहरें एवं उनकी शाखाएँ निकाली गयी हैं। इन बाँधों से बाढ़ का जल रोका गया है तथा सभी बाँधों से जलविद्युत शक्ति का उत्पादन किया जा रहा है। यह योजना केन्द्रीय सरकार, बिहार एवं पश्चिम बंगाल राज्य सरकारों के सहयोग से क्रियान्वित की गयी है। यह विश्व की दूसरी सबसे बड़ी परियोजना है।

उपयोगिता/प्रमुख लाभ/उपलब्धियाँ/महत्त्वइस परियोजना से दामोदर एवं उसकी सहायक नदियों में आने वाली बाढ़ों पर नियन्त्रण हुआ है। लगभग 74 लाख हेक्टेयर भूमि पर नित्यवाही सिंचाई की जा रही है, जिससे अतिरिक्त जूट एवं खाद्यान्नों का उत्पादन हो रहा है। कोलकाता एवं पश्चिम बंगाल के कोयला क्षेत्रों के बीच 145 किमी लम्बा एक नाव्य जलमार्ग का निर्माण हुआ है। बाँधों में नावें चलाने, तैरने एवं मत्स्य की सुविधाएँ हैं। घरेलू कार्यों के लिए शुद्ध जल की प्राप्ति के साथ-साथ लगभग 1,120 वर्ग किमी क्षेत्र में पेयजल की समस्या का निराकरण हुआ है। छोटा नागपुर के उजाड़ पठारी क्षेत्रों में भू-अपरदन को रोकने के लिए वृक्षारोपण, पशुओं के लिए चारा, रेशम के कीड़ों के लिए शहतूत के वृक्ष तथा उद्योगों के लिए लाख एवं बाँस की उपलब्धि हुई है। लगभग 3 लाख किलोवाट जलविद्युत शक्ति का उत्पादन किया जा रहा है, जिससे झारखण्ड, कोलकाता, पटना, जमशेदपुर, डालमिया नगर आदि शहरों के औद्योगीकरण में तीव्रता आयी है।

दामोदर पाटी निगम से पश्चिम बंगाल में बर्दवान, हावड़ा, हुगली एवं बांकुड़ा जिलों में 4.40 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की जा रही है। इस परियोजना के द्वितीय चरण में बम, अय्यर, बोकारो एवं बाल पहाड़ी स्थानों पर जलविद्युत शक्ति के लिए बाँध बनाये जाने की योजना है।

इस प्रकार दामोदर घाटी परियोजना पश्चिम बंगाल तथा झारखण्ड राज्यों के विशाल क्षेत्र में आर्थिक तथा औद्योगिक विकास में सहायक सिद्ध हुई है। यहाँ कृषि, उद्योग, वाणिज्य, व्यापार तथा परिवहन के साधनों में क्रान्तिकारी परिवर्तन होने से आर्थिक परिवेश बदल गया है तथा इस क्षेत्र की खनिज सम्पदा का भरपूर दोहन सम्भव हुआ है। इससे इस प्रदेश में प्रगति और विकास की लहर दौड़ गयी है। इस प्रकार यह परियोजना झारखण्ड तथा पश्चिम बंगाल राज्यों के सर्वांगीण विकास हेतु वरदान सिद्ध हुई है।



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