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भारत में वर्षा का वितरण समझाइये ।

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भारत की मानसूनी हवाओं की अनिश्चितता और अनियमितता जैसे लक्षण के कारण वार्षिक वर्षा की मात्रा भी घटती-बढ़तीरहती है । वर्षा की ऐसी विषमता राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, पंजाब एवं पश्चिमी घाट के वृष्टि छाँयावाले प्रदेशों में अधिक है । ये कम वर्षावाले क्षेत्र है । ऐसे क्षेत्र में 50 से.मी. से कम वर्षा होती है । कम वर्षा प्राप्त करनेवाले क्षेत्रों में अकाल की सम्भावना बढ़ जाती है । दक्खन के पठार में सह्याद्रि के पूर्व आंतरिक क्षेत्रों में कम वर्षा होती है । भारत के पश्चिमी किनारे तथा उत्तर-पूर्व के क्षेत्रों में वार्षिक वर्षा 300 से.मी. से भी अधिक होती है । अधिक वर्षावाले क्षेत्रों में बाढ़ आती रहती है । – इसके अलावा देश के बाकी हिस्सों में साधारण वर्षा होती है । हिमवर्षा हिमालय के क्षेत्रों तक ही सीमित है ।



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