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भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा साख नियन्त्रण किस प्रकार किया जाता है? समझाइए। |
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Answer» रिज़र्व बैंक साख नियन्त्रण के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाता है- 1. बैंक दर नीति बैंक दर, वह देर होती है, जिस पर देश का केन्द्रीय बैंक प्रथम श्रेणी प्रतिभूतियों तथा अनुमोदित ऋणपत्रों की जमानत के आधार पर व्यापारिक बैंकों को ऋण प्रदान करता है। यह बैंक अपनी बैंक दर नीति के द्वारी साख-मुद्रा की मात्रा व उसकी लागत पर प्रभाव डालकर देश में साख-मुद्रा का नियमन करता है। 2. खुले बाजार की क्रियाएँ खुले बाजार की क्रियाओं से तात्पर्य केन्द्रीय बैंक द्वारा साख नियन्त्रण के उद्देश्य से सरकारी प्रतिभूतियों के प्रथम श्रेणी के बिलों व प्रतिज्ञा-पत्रों के क्रय-विक्रय से होता है। 3. प्रत्यक्ष साख नियन्त्रण की नीति भारतीय रिज़र्व बैंक किसी भी बैंक के बैंकिंग व्यवसाय को रोक सकता है। रिज़र्व बैंक को बैंकों की साख सम्बन्धी नीति को निर्धारित करने का भी अधिकार होता है। 4. नकद कोषानुपात में परिवर्तन भारतीय रिज़र्व बैंक अनुसूचित बैंकों के नकद कोष के प्रतिशत को बढ़ाकर भी साख नियन्त्रण कर सकता है। 5. उपभोक्ता साख नियन्त्रण भारतीय रिज़र्व बैंक उपभोक्ताओं को प्रदान की जाने वाली साख पर नियन्त्रण करने के उद्देश्य से साख की मात्रा व प्रयोग में कमी या वृद्धि करके साख नियन्त्रण कर सकता है। 6. वैधानिक तरलता अनुपात में परिवर्तन भारत के प्रत्येक अनुसूचित बैंक को अपनी कुल सम्पत्ति का 20% भाग तरल कोष में रखना पड़ता है। भारतीय रिज़र्व बैंक इस तरलता कोषानुपात में वृद्धि करके साख नियन्त्रण करता है। 7. साख की राशनिंग साखे नियन्त्रण की इस विधि के अन्तर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक वाणिज्य बैंक द्वारा दी जाने वाली कुल साख को विभिन्न उद्योगों, क्षेत्रों एवं व्यवसायों के बीच राशनिंग (वितरण) कर देता है। 8. प्रत्यक्ष कार्यवाही बैंकों द्वारा भारतीय रिज़र्व बैंक की साख नियन्त्रण की सलाह न मानने पर भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रत्यक्ष कार्यवाही करने का अधिकार होता है। |
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