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Bharat ke 6 ritu ke upar 2-2 vakya

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ऋतु एक वर्ष से छोटा कालखंड है जिसमें मौसम की दशाएँ एक खास प्रकार की होती हैं। यह कालखण्ड एक वर्ष को कई भागों में विभाजित करता है जिनके दौरान पृथ्वी के सूर्य की परिक्रमा के परिणामस्वरूप दिन की अवधि, तापमान, वर्षा, आर्द्रता इत्यादि मौसमी दशाएँ एक चक्रीय रूप में बदलती हैं। मौसम की दशाओं में वर्ष के दौरान इस चक्रीय बदलाव का प्रभाव पारितंत्र पर पड़ता है और इस प्रकार पारितंत्रीय ऋतुएँ निर्मित होती हैं यथा पश्चिम बंगाल में जुलाई से सितम्बर तक वर्षा ऋतु होती है, यानि पश्चिम बंगाल में जुलाई से अक्टूबर तक, वर्ष के अन्य कालखंडो की अपेक्षा अधिक वर्षा होती है। इसी प्रकार यदि कहा जाय कि तमिलनाडु में मार्च से जुलाई तक ग्रीष्म ऋतु होती है, तो इसका अर्थ है कि तमिलनाडु में मार्च से जुलाई तक के महीने साल के अन्य समयों की अपेक्षा गर्म रहते हैं।

एक ॠतु = २ मास। ऋतु साैर अाैर चान्द्र दाे प्रकार के हाेते हैं। धार्मिक कार्य में चान्द्र ऋतुएँ ली जाती हैं।

भारत में परंपरागत रूप से मुख्यतः छः ऋतुएं परिभाषित की गयी हैं।[1] -

ऋतु हिन्दू मास ग्रेगरियन मास

वसन्त (SPRING) चैत्र से वैशाख (वैदिक मधु अाैर माधव) मार्च से अप्रैल

ग्रीष्म (SUMMER) ज्येष्ठ से आषाढ (वैदिक शुक्र अाैर शुचि) मई से जून

वर्षा (Rainy) श्रावन से भाद्रपद (वैदिक नभः अाैर नभस्य) जुलाई से सितम्बर

शरद् (Autumn) आश्विन से कार्तिक (वैदिक इष अाैर उर्ज) अक्टूबर से नवम्बर

हेमन्त (pre-WINTER) मार्गशीर्ष से पौष (वैदिक सहः अाैर सहस्य) दिसम्बर से 15 जनवरी

शिशिर (Winter) माघ से फाल्गुन (वैदिक तपः और तपस्य) 16 जनवरी से फरवरी



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