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Bharath ki maganatha ke bhare meh bhatheh​

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कलम, तलवार और त्याग/५-स्वामी विवेकानन्द

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←४-अकबर महान कलम, तलवार और त्याग (1939)

द्वारा प्रेमचंद ६-राजा मानसिंह→

[ ६६ ]कृष्ण भगवान ने गीता में कहा है कि जब-जब धर्म का हाृस और पाप की प्रबलता होती है तब-तब मैं मानव-जाति के कल्याण के लिए अवतार लिया करता हूँ। इस नाशवान् जगत् में सर्वत्र सामान्यतः और भारतवर्ष में विशेषतः जब कभी पाप की वृद्धि या और किसी कारण (समाज के) संस्कार या नव-निर्माण की आवश्यकता हुई तो ऐसे सच्चे सुधारक और प्रथप्रदर्शक प्रकट हुए हैं, जिनके आत्मबल ने सामयिक परिस्थिति पर विजय प्राप्त की। पुरातन काल में जब पाप अनाचार प्रबल हो उठे तो



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