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Answer» भोजन पकाने के मुख्य उद्देश्य आदि-मानव क्षुधापूर्ति के लिए तत्कालीन भोज्य-पदार्थों का प्राकृतिक रूप में ही उपयोग करता था। उसकी खोजी प्रवृत्ति ने उसे शिकार करने के लिए अस्त्रों, अग्नि तथा नाना प्रकार के भोज्य-पदार्थों का ज्ञान प्राप्त कराया। वह धीरे-धीरे अग्नि का प्रयोग भोजन पकाने में करने लगा। आहार एवं पोषण-विज्ञान के विकास एवं अध्ययन ने आधुनिक मानव को भोजन को पकाने के महत्त्व तथा इसकी वैज्ञानिक विधियों की उपयोगिता की शिक्षा दी है। भोजन पकाने के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं (1) भोज्य-पदार्थों को सुपाच्य बनाना: आहार को ग्रहण करने से पूर्ण लाभ तभी प्राप्त होता है जबकि उसका अच्छी प्रकार से पाचन हो जाए। पाक-क्रिया या भोजन को पकाने का एक मुख्य उद्देश्य भोज्य-पदार्थों को सुपाच्य बनाना होता है। बिना पकाए भोज्य-पदार्थों को यदि ग्रहण किया जाता है, तो इस दशा में उनका पाचन प्रायः असम्भव ही होता है। अतः भोज्य-पदार्थों को सुपाच्य बनाने के उद्देश्य से उन्हें अनिवार्य रूप से पकाया जाता है। (2) आहार को अधिकाधिक स्वादिष्ट बनाना: पाक-क्रिया का एक उल्लेखनीय उद्देश्य खाद्य सामग्री को अधिकाधिक स्वादिष्ट बनाना भी है। विभिन्न खाद्य-सामग्रियाँ कच्ची अवस्था में स्वादिष्ट नहीं होतीं, बल्कि उनका स्वाद अरुचिकर ही होता है। इन खाद्य-सामग्रियों को यदि सही पाक-क्रिया द्वारा तैयार किया जाता है, तो ये स्वादिष्ट बन जाती हैं तथा रुचिपूर्वक खाई जा सकती हैं। (3) आकर्षक बनाना: खाद्य-सामग्री को पकाने का एक उद्देश्य उसे आकर्षक बनाना भी होता है। पकने पर आहार का स्वाद अच्छा हो जाता है, उसका रूप आकर्षक हो जाता है तथा उसमें एक प्रकार की मनभावन सुगन्ध उत्पन्न हो जाती है। अनेक खाद्य व्यंजनों को मसालों एवं रंगों से विशेष आकर्षक बना दिया जाता है। उदाहरण के लिए-चावल से जब पुलाव या बिरयानी तैयार की जाती है, तो उसमें एक मनोहारी सुगन्ध उत्पन्न हो जाती है तथा उसका रूप भी आकर्षक हो जाता है। (4) आहार को विविधता प्रदान करना: पाक-क्रिया का एक उद्देश्य खाद्य-सामग्री को विविधता प्रदान करना भी है। पाक-क्रिया के माध्यम से एक ही खाद्य सामग्री को भिन्न-भिन्न व्यंजनों के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है। आहार की विविधता व्यक्ति को अधिक सन्तोष प्रदान करती है। तथा आहार के प्रति रुचि बनी रहती है। (5) खाद्य-सामग्री को कीटाणुरहित बनाना: विभिन्न शाक-सब्जियों तथा भोज्य-पदार्थों पर नाना प्रकार के फफूद एवं जीवाणु होते हैं। वर्षा ऋतु में तो इनकी संख्या अत्यधिक होती है। बिना पके भोज्य-पदार्थों का सेवन करने से ये कीटाणु शरीर में प्रवेश करके अनेक रोगों की उत्पत्ति का कारण बन सकते हैं। भोज्य-पदार्थों को पकाते समय उच्च ताप पर ये कीटाणु लगभग समूल नष्ट हो जाते हैं। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए हम कह सकते हैं कि भोज्य-पदार्थों को पकाने का एक उद्देश्य आहार को कीटाणुरहित बनाना भी होता है। जीव जगत से प्राप्त भोज्य सामग्री (दूध, मांस-मछली एवं अण्डे) में कीटाणुओं की अधिक आशंका रही है अतः इन्हे आहार के रूप में ग्रहण करने से पूर्व उच्च ताप पर पकाना अति आवश्यक होता है। (6) आहार का संरक्षण: खाद्य-सामग्री को पकाने का एक उद्देश्य उसे अधिक समय तक सुरक्षित रखना भी है। कच्ची खाद्य-सामग्री शीघ्र ही सड़ने लगती है, परन्तु समुचित पाक-क्रिया द्वारा तैयार खाद्य-सामग्री बहुत समय तक सुरक्षित रह सकती है। उदाहरण के लिए-अचार, मुरब्बे, जैम, सॉस आदि के रूप में खाद्य-सामग्री को बहुत अधिक समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है। इसी प्रकार कच्चा दूध शीघ्र ही फट जाता है, परन्तु यदि उसे पका लिया जाए, तो काफी समय तक ठीक हालत में रखा जा सकता है। भोजन पकाते समय ध्यान देने योग्य बातें भोजन पकाने से जहाँ एक ओर अनेक ल हैं, वहीं दूसरी ओर लापरवाही व असावधानीपूर्वक भोजन पकाने से अनेक हानियाँ भी सम्भव हैं। उदाहरण के लिए-गलत विधि से भोजन पकाने पर उसके पोषक तत्त्व नष्ट हो जाते हैं। अतः भोजन पकाते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए (1) स्वच्छ एवं कीटाणुरहित भोजन: भोजन पकाते समय स्वच्छता का सर्वाधिक ध्यान रखना चाहिए। इसके लिए ध्यान रखें कि (क) गन्दे बर्तनों में कीटाणु उपस्थित रहते हैं; अतः भोजन सदैव स्वच्छ बर्तनों में पकाना चाहिए। (ख) भोजन बनाने में प्रयुक्त पीतल के बर्तन कलई किए हुए होने चाहिए, अन्यथा भोजन के विषैला होने का भय रहता है। (ग) भोजन बनाते समय गृहिणी के नाखून साफ-स्वच्छ होने चाहिए, क्योंकि नाखूनों की गन्दगी में अनेक कीटाणु होते हैं, जोकि अनेक रोगों को कारण बन सकते हैं। (घ) खाना पकाते समय गृहिणी को अपने बाल बँधे व कसे हुए रखने चाहिए, ताकि उनके भोजन में गिरने की सम्भावना ही न रहे। (ङ) रसोईघर में बर्तन पोंछते समय स्वच्छ कपड़ा प्रयुक्त करना चाहिए। (2) स्वादिष्ट एवं पोषक तत्वों से युक्त भोजन: भोजन पकाने का मुख्य उद्देश्य स्वादिष्ट एवं पौष्टिक भोजन तैयार करना होता है; अत: (क) भोजन को पकाते समय बर्तन को खुला नहीं रखना चाहिए। खुला रहने से भोजन वायु के सम्पर्क में आता है, जिससे इसमें कीटाणुओं व धूल गिरने की सम्भावना बनी रहती है तथा भोजन की सुगन्ध भी कम हो जाती है। (ख) निश्चित अवधि से अधिक देर तक पकाने से भोजन का स्वाद नष्ट हो जाता है तथा उसके पोषकतत्त्वों के नष्ट होने की भी सम्भावना रहती है। अत: खाद्य-सामग्री को केवल उतने ही समय तक पकाना चाहिए जितना आवश्यक हो।। (ग) भोजन को बार-बार गर्म करने से उसके पोषक तत्त्व नष्ट हो जाते हैं। (घ) खाने का सोडा विटामिन ‘बी’ को नष्ट करता है; अत: इसका उपयोग सोच-समझकर करना चाहिए। (ङ) चावल व शाक-सब्जियों को पकाते समय उनमें अधिक पानी नहीं डालना चाहिए। इनके पानी में पोषक तत्त्व होते हैं; अतः इसे फेंकना नहीं चाहिए। (च) आवश्यकता से अधिक मसालों का उपयोग करने से भोजन का स्वाभाविक स्वाद नष्ट हो जाता है तथा स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। (छ) सब्जियों को अच्छी तरह से धोकर ही काटना चाहिए। छीलने एवं काटने के बाद नहीं । धोना चाहिए। इससे कुछ पोषक तत्त्व पानी में बह जाते हैं।
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