InterviewSolution
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Bhrun hatya pr nibandh |
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Answer» प्राचीन समय से ही, महिलाओं को भारतीय समाज में अपने परिवार और समाज के लिये एक अभिशाप के रुप में देखा जाता है। इन कारणों से, तकनीकी उन्नति के समय से ही भारत में बहुत वर्षों से कन्या भ्रूण हत्या की प्रथा चल रही है। 2001 के सेंसस के आंकड़ों के अनुसार, पुरुष और स्त्री अनुपात 1000 से 927 है। कुछ वर्ष पहले, लगभग सभी जोड़े जन्म से पहले शिशु के लिंग को जानने के लिये लिंग निर्धारण जाँच का इस्तेमाल करते थे। और लिंग के लड़की होने पर गर्भपात निश्चित होता था। केवल इसलिये कि जन्म लेने वाला बच्चा एक लड़की है, माँ के गर्भ से गर्भावस्था के 18 हफ्तों बाद स्वस्थ कन्या के भ्रूण को हटाना कन्या भ्रूण हत्या है। माता-पिता और समाज एक लड़की को उनके ऊपर एक बोझ मानते है और समझते है कि लड़कियां उपभोक्ता होती हैं जबकि लड़के उत्पादक होते हैं। प्राचीन समय से ही लड़कियों के बारे में भारतीय समाज में बहुत सारे मिथक हैं कि लड़कियां हमेशा लेती हैं और लड़के हमेशा देते हैं। वर्षों से समाज में कन्या भ्रूण हत्या की कई वजहें रहीं है। हालांकि, नियमित तरीके से उठाये गये कुछ कदमों के द्वारा इसे हटाया जा सकता है:\tचिकित्सों के लिये मजबूत नीति संबंधी नियमावली होना चाहिये।\tहरेक को लिंग परीक्षण को हटाने के पक्ष में होना चाहिये और समाज में लड़कियों के खिलाफ पारंपरिक शिक्षा से दूर रहना चाहिये।\tदहेज प्रथा जैसी समाजिक बुराईयों से निपटने के लिये महिलाओं को सशक्त होना चाहिये।\tसभी महिलाओं के लिये तुरंत शिकायत रजिस्ट्रेशन प्रणाली होनी चाहिये।\tआम लोगों को जागरुक करने के लिये कन्या भ्रूण हत्या जागरुकता कार्यक्रम होना चाहिये।\tएक निश्चित अंतराल के बाद महिलाओं (महिलाओं की मृत्यु, लिंग अनुपात, अशिक्षा और अर्थव्यवस्था में भागीदारी के संबंध में,) की स्थिति का मूल्यांकन होना चाहिये। bhrun kya |
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