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Answer» भुगतान सन्तुलन किसी देश के आर्थिक लेन-देन का एक व्यवस्थित लेखा-जोखा है, जो किसी देश के निवासियों द्वारा विश्व के अन्य देशों के निवासियों के साथ किया जाता है। भुगतान सन्तुलन के विवरण में प्राय: लेन-देन की मदों में चालू खाता और पूँजी खाता की मदों का उल्लेख होता है। जब किसी देश का चालू खाती, पूँजी खाता के अन्तर्गत कुल लेनदारियों तथा देनदारियों की तुलना में अधिक होता है, तो उस देश का भुगतान सन्तुलन अनुकूल कहा जाएगा। वर्तमान समय में अनुकूल भुगतान सन्तुलन आर्थिक विकास और आर्थिक समृद्धि का सूचक माना जाता है। भारत एक विकासशील देश है। भारत जैसे विकासशील देशों में प्रतिकूल भुगतान सन्तुलन एक विकट समस्या बनी हुई है। इसे अनुकूल बनाने के लिए निम्नलिखित उपाय किये जा सकते हैं 1. आयातों को कम करना – यदि भुगतान सन्तुलन को भारत के अनुकूल करना है तब यह आवश्यक है कि हमें अपने आयातों में कमी करनी होगी, क्योंकि आयातों में कमी से देनदारियाँ कम होंगी और भुगतान सन्तुलन अनुकूल हो सकेगा। सरकार आयात की वस्तुओं पर अधिक आयात कर. लगाकर, देश में आयातित वस्तुओं का उत्पादन बढ़ाकर, व्यापारियों को आयात लाइसेन्स देकर तथा आयात कोटा निश्चित कर, आयातों को कम कर सकती है। 2. निर्यातों में वृद्धि – निर्यातों में वृद्धि करके विदेशी मुद्रा अर्जित की जा सकती है और भुगतान सन्तुलन को अपने पक्ष में किया जा सकता है। निर्यातों में वृद्धि के लिए निम्नलिखित उपाय किये जा सकते हैं ⦁ वस्तुओं के गुण और मात्रा में वृद्धि तथा उत्पादन लागत में कमी द्वारा। ⦁ वस्तुओं से सम्बद्ध उद्योगों को संरक्षण प्रदान कर। ⦁ निर्यात कर में कमी करना। ⦁ बन्दरगाहों तक तैयार उत्पादों को ले जाने की उचित व्यवस्था करना। ⦁ बन्दरगाहों से जहाज में लदान की कारगर व्यवस्था करना। 3. मुद्रा का अवमूल्यनं – मुद्रा का अवमूल्यन करके निर्यात बढ़ाने के प्रयास किये जा सकते हैं। मुद्रा के मूल्य में कमी कर देने से विदेशी व्यापारियों को अपेक्षाकृत कम मुद्रा देकर वस्तुएँ प्राप्त हो जाती हैं। मुद्रा के अवमूल्यन से निर्यातों के बढ़ने की सम्भावना होती है। 4. विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करके – विदेशी पर्यटकों को अपने देश में दर्शनीय स्थलों की ओर आकर्षित करके विदेशी मुद्रा अर्जित की जा सकती है। 5. विनिमय-नियन्त्रण द्वारा विनिमय – नियन्त्रण के द्वारा भी भुगतान सन्तुलन को पक्ष में लाया जा सकता है। सरकार आयात पर प्रतिबन्ध लगाकर भुगतान सन्तुलन को अपने पक्ष में कर सकती है। 6. विदेशी विनियोजकों को आकर्षित करके – भुगतान सन्तुलन को नियन्त्रित करने हेतु विदेशी विनियोजकों को पूँजी विनियोग के लिए अपने देश में आकर्षित करना चाहिए, जिसके द्वारा उत्पादन की मात्रा को बढ़ाया जा सकता है। 7. विदेशी ऋण प्राप्त करके – विदेशी ऋण प्राप्त करके भी भुगतान सन्तुलन को अपने अनुकूल किया जा सकता है, परन्तु यह ध्यान रखना चाहिए कि विदेशी ऋण उत्पादक-कार्यों के लिए ही लिये जाएँ। 8. जनसंख्या-वृद्धि पर नियन्त्रण द्वारा – देश की जनसंख्या-वृद्धि को नियन्त्रित करने के लिए अधिक प्रयास होना चाहिए, जिससे आन्तरिक माँग में वृद्धि न हो। इस सम्बन्ध में सरकार द्वारा परिवार नियोजन के कार्यक्रम को व्यापक और अनिवार्य कर देना चाहिए।
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