InterviewSolution
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‘भू-क्षरण’ या ‘मृदा-अपरदन’ से आप क्या समझते हैं ? इनके कारण तथा निवारण के उपायों पर विस्तार से प्रकाश डालिए।यामृदा-अपरदन किसे कहते हैं ? मृदा-अपरदन के चार कारण लिखिए।यामृदा-संरक्षण के दो उपाय बताइए।यामृदा-संरक्षण नियन्त्रण हेतु चार सुझाव सुझाइए।याभूमि-क्षरण के किन्हीं दो कारणों का उल्लेख कीजिए।याभारतीय मिट्टी के संरक्षण हेतु पाँच सुझाव दीजिए।यामृदा संरक्षण से आप क्या समझते हैं। मृदा संरक्षण के कोई छः उपाय बताइए। |
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Answer» भू-क्षरण या मृदा-अपरदन भू-क्षरण या मृदा-अपरदन से अभिप्राय प्राकृतिक साधनों (जल या वर्षा, पवन आदि) के द्वारा भूमि की ऊपरी परत या आवरण के नष्ट होने से है। भूमि-अपरदन से भौतिक हानि के अलावा आर्थिक हानि भी होती है, क्योंकि इससे भूमि की ऊपरी परत में मौजूद उर्वर पोषक तत्त्व नष्ट हो जाते हैं तथा भूमि अनुर्वर हो जाती है। ऐसा कहा जाता है कि भू-क्षरण वास्तव में मिट्टी के विनाश के लिए रेंगती हुई मृत्यु के समान है। भू-क्षरण के कारण मृदा-अपरदन अथवा भू-क्षरण के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं 1. पवन-अपरदन- मरुस्थलों और अर्द्ध-मरुस्थलों में पवन मिट्टी के महीन कणों को उड़ाकर ले जाती . है, जिससे मिट्टी की उपजाऊ शक्ति नष्ट हो जाती है। 2. अत्यधिक चराई- पहाड़ी ढालों पर पशुओं और विशेषकर बकरियों द्वारा अत्यधिक चराई के फलस्वरूप मिट्टी का अपरदन होता है। 3. प्राकृतिक वनस्पति का विनाश- वृक्षों की जड़ें मिट्टी के कणों को बाँधे रहती हैं और उन्हें बह जाने से रोकती हैं। किन्तु जिन स्थानों पर वृक्षों को अन्धाधुन्ध काट दिया जाता है, वहाँ पानी के बहाव की गति तेज हो जाती है और मिट्टी का अपरदन बढ़ जाता है। 4. मूसलाधार वर्षा- मूसलाधार वर्षा अपने साथ मृदा को बहाकर ले जाती है, जिससे अत्यधिक भूमि-अपरदन होता है। 5. मिट्टी के प्रकार- जिन क्षेत्रों में मिट्टी ढीली, असंगठित या तीव्र ढाल वाली होती है, वहाँ मिट्टी का अपरदन भी अधिक या शीघ्र होता है। अधिक तीव्र ढालों पर बहता हुआ जल अधिक अपरदन करता संक्षेप में कहा जा सकता है कि भारत में भू-क्षरण के लिए तीव्र एवं मूसलाधार वर्षा का होना, नदियों में प्रतिवर्ष बाढ़ों का आना, वनों का अधिकाधिक विनाश, खेतों को खाली एवं परती छोड़ देना, तीव्र पवनप्रवाह का होना, कृषि-भूमि पर पशुओं की अनियमित एवं अनियन्त्रित चराई, खेतों की उचित मेड़बन्दी न किया जाना, भूमि का अधिक ढालूपन, जल निकास की उचित व्यवस्था का न होना आदि कारक उत्तरदायी हैं। निवारण (मृदा संरक्षण) के उपाय भू-क्षरण की समस्या के निवारण के लिए निम्नलिखित उपाय आवश्यक हैं 1. वृक्षारोपण- जिन प्रदेशों में बढ़े अधिक आती हैं, वहाँ जल की गति को नियन्त्रित करने के लिए वृक्षारोपण किया जाना चाहिए। वृक्षों से गिरने वाली पत्तियाँ खेतों में जीवांश की वृद्धि कर उसकी उर्वरा शक्ति को बढ़ाने में भी कारगर सिद्ध होती हैं। 2. नदियों पर बाँधों का निर्माण- नदियों पर बाँधों का निर्माण कर दिये जाने से जल-गति नियन्त्रित होती है तथा बाढ़ के प्रकोप में भी कमी आती है। बाढ़ में कमी आने से भू-क्षरण भी स्वत: ही कम होता है। 3. खेतों की मेड़बन्दी करना- भू-क्षरण में कमी लाने के लिए खेतों में ऊँची-ऊँची मेड़बन्दी करना अति आवश्यक है। 4. पशुचारण पर नियन्त्रण- पशुओं द्वारा खाली या जोती हुई भूमि पर चराई नहीं करानी चाहिए, क्योंकि पशुओं के खुरों से मिट्टी टूटती है। अत: चरागाहों पर ही पशुचारण किया जाना उचित होता है। 5. ढाल के विपरीत दिशा में जुताई करना- भू-क्षरण रोकने के लिए भूमि के ढाल की विपरीत दिशा में जुताई करनी चाहिए। इससे निर्मित नालियाँ जल की गति को कम कर भू-क्षरण को रोकने में कारगर सिद्ध हो सकती हैं। 6. जल के निकास की उचित व्यवस्था- ढालू खेतों में वर्षा के जल के निकास की उचित व्यवस्था कर भू-क्षरण को कुछ सीमा तक रोका जा सकता है। पहाड़ी क्षेत्रों में सीढ़ीदार खेतों का ही निर्माण किया जाना चाहिए, अन्यथा भू-क्षरण अत्यधिक होगा। 7. खेतों में हरी खाद वाली फसलें उगाना- वर्षा ऋतु में खेतों को खुला नहीं छोड़ना चाहिए, वरन् उनमें हरी खाद वाली फसलें—लैंचा, सनई, मूंग नं० 1 आदि बोनी चाहिए। ऐसा करने से मिट्टी को पोषक तत्त्वों की प्राप्ति होगी तथा भू-क्षरण भी रुक सकेगा। 8: नाली एवं गड्ढों को एक सम बनाना- वर्षा के आधिक्य के कारण जल-प्रवाह द्वारा निर्मित गड्ढों एवं नालियों को मिट्टी से भरकर भूमि को समतल बना देना चाहिए। इससे भूमि का कटाव स्वत: ही रुक जाएगा। स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद भारत सरकार का ध्यान भू-क्षरण की ओर गया है तथा इस समस्या के निवारण हेतु सन् 1953 ई० में केन्द्रीय भू-क्षरण बोर्ड की स्थापना की गयी है, जिसका मुख्य कार्य सरकार को इस समस्या के सम्बन्ध में सुझाव देना है। वर्तमान समय तक 180 लाख हेक्टेयर कृषि- भूमि का संरक्षण किया जा चुका है तथा 110 लाख हेक्टेयर भूमि पर वृक्षारोपण का कार्य पूरा किया जा चुका है। |
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