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बीमा योग्य हित का सिद्धान्त स्पष्ट कीजिए ।

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बीमा योग्य हित का सिद्धांत : बीमा उतरवानेवाले का, जिस वस्तु या व्यक्ति का बीमा वह उतरवा रहा हो, उसमें उचित हित होना चाहिए । बीमा उचित हित अर्थात् वस्तु या मिलकत की हयाती या अस्तित्व से बीमा उतरवानेवाले का लाभ और वस्तु या मिलकत के नुकसान या नाश से बीमा उतरवानेवाले को हानि होती हो यह भी देता जाता है ।

उदाहरण : एक मकान के लिए

  1. मकान-मालिक
  2. किरायेदार
  3. मकान गिरवी रखकर कर्ज देनेवाला ये सभी बीमा में उचित हित रखते हैं ।

एक साझेदार का दूसरे साझेदारों की जिन्दगी में बीमा उचित हित है ।
कारखाने के मालिक का अपने कर्मचारियों की जिन्दगी में बीमा उचित हित है ।
पिता का अपने पुत्र की जिन्दगी में बीमा उचित हित होता है ।

ऐसा हित न रखनेवाला व्यक्ति यदि बीमा उतरवाता है तो वह बीमा-करार कायदेसर नहीं माना जा सकता है और इसलिए बीमा कंपनी को बंधनकर्ता नहीं है । जिन्दगी के बीमा में बीमा उचित हित बीमा लेते समय होना चाहिए । जबकि अन्य बीमों के लिए बीमा लेते समय और नुकसानी के समय भी बीमा उचित हित होना चाहिए ।



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