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'बीती' विभावरी जाग री' कविता का केंद्रीय भाव लिखिए |
Answer» जयशंकर प्रसाद की इस कविता में उषाकाल (सुबह) का बड़ा सुन्दर वर्णन है| उपमा तो बिलकुल कालिदास जैसी है| जयशंकर प्रसाद छायावाद के चार स्तंभों में से एक हैं| उनकी कवितायें समझ में आ जाएँ तो बड़ी अच्छी लगती हैं| पर अक्सर समझ में आती नहीं| भाषा बड़ी संस्कृत-निष्ठ होती है| ढेर सारे तत्सम शब्द होते हैं जो हम बोल-चाल की भाषा में इस्तेमाल नहीं करते हैं| इन शब्दों का अर्थ इन्टरनेट पर भी आसानी से नहीं मिलता| फिर भी ये कविता डाल रहा हूँ| बड़ी मीठी है| काश कोई इसको लयबद्ध करता!MARK it as BRAINLIEST and FOLLOW me PLEASE please |
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