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Answer» वर्ष 2004 में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी जब पहली बार रायबरेली से सांसद बनीं तो उन्होंने यहां की महिलाओं के रोजगार में दिलचस्पी दिखाई. सोनिया की पहल पर अक्तूबर, 2005 में 'शीना होमटेक प्राइवेट लिमिटेड’ ने शीना फैक्ट्री के नाम से रायबरेली-सुल्तानपुर रोड पर इंडस्ट्रियल एरिया में एक दरी बनाने का कारखाना खोला, जहां काम करने वाली सभी 800 महिलाएं थीं. यहां की दरियों की विदेशों में काफी मांग थी. वर्ष 2009-10 में वैश्विक मंदी के चलते दरियों की बिक्री काफी कम हो गई. इस साल जनवरी से 'शीना फैक्टरी’ बंद हो गई और यहां काम करने वाली 800 महिलाएं बेरोजगार हो गईं.
मौजूदा नवंबर की 5 तारीख को रायबरेली-अमावां रोड पर स्थित 'यूपी स्टेट स्पिनिंग कंपनी’ के 450 कर्मचारी उस वक्त हैरान हो गए, जब कंपनी के गेट पर स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ( वीआरएस) का नोटिस चस्पां मिला. वर्ष 1975 में स्थापित यह कंपनी पिछले 10 वर्षों से घाटे में थी. पिछले वर्ष दिसंबर में राज्य सरकार ने मार्च, 2012 से इस कंपनी को बंद करने की घोषणा की थी, लेकिन सूबे में सपा सरकार बनने के बाद इस निर्णय को बदलकर इसे 26 जून को बंद करने का निर्णय सुना दिया गया.
वर्ष 2012 में अब तक रायबरेली के दो बड़े उद्योग बंद हो जाने से यहां का औद्योगिक माहौल कठघरे में खड़ा हो गया है. कभी उद्योगों के लिए पूरे प्रदेश में प्रसिद्घ रायबरेली की पहचान अब यहां बंद पड़े उद्योग बन गए हैं. जिला उद्योग केंद्र के आंकड़ों के मुताबिक बीते 10 वर्षों के दौरान रायबरेली में संचालित 2,312 छोटे और मध्यम उद्योगों में से 855 या तो बंद हो चुके हैं या फिर उन्होंने बंद करने की अर्जी दी है. इसके अलावा यहां स्थापित 12 बड़े उद्योगों में से आधे बंद हो चुके हैं और जो चल रहे हैं, उनमें से कई बंद होने की कगार पर हैं. बड़ी संख्या में कारखाने बंद होने से रायबरेली में 10,000 मजदूर बेरोजगार हो चुके हैं.
वर्ष 1973 में खुली और 97 एकड़ में फैली दरियापुर इलाके में मौजूद नंदनगंज सिरोही शुगर मिल की मशीनें भी बीते दो वर्षों से खामोश हैं. 15,000 क्विंटल प्रतिदिन गन्ना पेरने की क्षमता वाली शुगर मिल की लगातार बिगड़ रही आर्थिक हालत के चलते इसे बंद कर दिया गया. यहां काम करने वाले सभी 800 कर्मचारी अब वीआरएस लेकर बेरोजगार बैठे हैं. बेरोजगारी का डर रायबरेली की इंडियन टेलीफोन इंडस्ट्री (आइटीआइ) में काम करने वाले 3,000 कर्मचारियों को भी सता रहा है.
1973 में शुरू हुई आइटीआइ के पास इस वक्त कोई काम नहीं होने से यह बंद होने के कगार पर है और कर्मचारी खाली बैठे हैं. रायबरेली में औद्योगिक माहौल तैयार करने का श्रेय पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को जाता है. 1973 से 1975 के बीच इंदिरा गांधी अपने संसदीय क्षेत्र रायबरेली में अमावा रोड पर औद्योगिक क्षेत्र फेज-1 और सुल्तानपुर रोड पर औद्योगिक क्षेत्र फेज-2 का निर्माण कराया.
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