 
                 
                InterviewSolution
 Saved Bookmarks
    				| 1. | “बतरस लालच …… नटि जाइ॥” इस दोहे में आप रस-योजना की दृष्टि से क्या विशेषता देखते हैं? स्पष्ट कीजिए। | 
| Answer» इस दोहे में कवि ने संयोग श्रृंगार रस की सर्वांगपूर्ण योजना की है। गोपियाँ कृष्ण से वार्तालाप करने का अवसर चाहती हैं। इस लालच में उन्होंने कृष्ण की परमप्रिय वंशी को छिपा दिया है। कृष्ण जब उनसे वंशी के बारे में पूछते हैं तो वे सौगंध खाकर मैनी कर देती हैं। उनकी भौंहों में झलकती हँसी को देख कृष्ण जब उनसे वंशी माँगते हैं तो वे साफ मना कर देती हैं। कवि ने इस प्यार भरी छेड़छाड़ का जो सजीव शब्द चित्र अंकित किया है वह संयोग श्रृंगार रस का सर्वांगपूर्ण स्वरूप प्रस्तुत करता है। इसमें भाव, अनुभाव और संचारी भाव सब कुछ उपस्थित है-“सौंह करै, भौंहनु हँसौ, देन कहँ नटि जाइ ॥” | |