1.

“अंग-अंग नग जगमगत दीपसिखा सी देह।।दिया बढ़ाएँ हूँ, बड़ौ उज्यारौ गेह॥प्रस्तुत दोहे में सखी नायक से नायिका की छवि की प्रशंसा करते हुए क्या कहना चाहती है?

Answer»

सखी इस दोहे में नायक के सामने नायिका के उज्ज्वल रूप की, उसके गौरवर्ण की प्रशंसा करके नायक को नायिका के प्रति आकर्षित करना चाह रही है। वह यह भी संकेत कर रही है कि रात्रि के समय भी नायिका के घर में उसके रत्नजटित आभूषणों और उज्जवल रूप के कारण प्रकाश बना रहता है।



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