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चाह नहीं, मैं सुरबाला के गहनों में गॅथा जाऊँ.चाह नहीं, प्रेमी-माला में बिंध प्यारी को ललचाऊँ,चाह नहीं, सम्राटों के शव पर, हे हरि डाला जाऊँ,चाह नहीं, देवों के सिर पर चढूँ, भाग्य पर इठलाऊँ,मुझे तोड़ लेना वनमाली,उस पथ में देना तुम फेंक,मातृभूमि पर शीश चढ़ाने,जिस पथ जावें वीर अनेक।उपर्युक्त पद्यांश के आधार पर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-(क) सुरबाला के गहनों का क्या अर्थ है?(ख) साधारण फूल अपने भाग्य पर कब इठलाते हैं?(ग) कवि किससे प्रार्थना कर रहा है?(घ) शीश चढ़ाने का क्या अर्थ है?(ङ) फूल अपने-आप को कहाँ फेंक देने की याचना कर रहा है?​

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दिए गए गद्यांश पर आधारित प्रश्नों के उत्तर इस प्रकार हैं...

(क) सुरबाला के गहनों का क्या अर्थ है?

➲ सुरबाला के गहनों का अर्थ है, सुंदर स्त्रियां अपने सिर में गजरे के रूप में जो फूल लगाती हैं।

(ख) साधारण फूल अपने भाग्य पर कब इठलाते हैं?

➲ साधारण फूल अपने भाग्य पर तब इठलाते हैं, जब उसे देश की रक्षा के लिए जा रहे सैनिकों के मार्ग पर बिखेर दिया जाता है।

(ग) कवि किससे प्रार्थना कर रहा है?

➲ कवि वनमाली अर्थात उद्यान के माली से प्रार्थना कर रहा है।

(घ) शीश चढ़ाने का क्या अर्थ है?

➲ शीश चढ़ाने का अर्थ है, देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान करने के लिए तत्पर सैनिकों से है।

(ङ) फूल अपने-आप को कहाँ फेंक देने की याचना कर रहा है?​

➲ एक फूल अपने-आप को देश की रक्षा के जा रहे वीर सैनिकों के मार्ग पर बिखेर देने की याचना कर रहा है।

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