1.

चित्र में प्रदर्शित C-R श्रेणीबद्ध परिपथ के लिए निम्नलिखित के मान ज्ञात करें : (a) परिपथ में (rms) धारा (b) प्रतिरोधक एवं संधारित्र के सिरों के बिच (rms) वोल्टता यह भी स्पष्ट करें कि इन वोल्टताओं का बीजगणितीय योगफल मुख्य स्रोत के वोल्टता से अधिक क्यों है ?

Answer» Correct Answer - `0.754 A, 150.8 V, 160.1 V`
प्रश्न से `R=200 Omega C = 15 mu F = 15xx10^(-6)F, V_("rms")=220 V" तथा "f=50 Hz.`
`therefore" परिपथ में संधारित्र का प्रतिघात "X_(C)=(1)/(omega C)=(1)/(2 pi fC)=(1)/(2(3.14)(50 s^(-1))(15xx10^(-6) F))`
`=212.3 Omega.`
अतः, परिपथ कि प्रतिबाधा `Z=sqrt(R^(2)+X_(C)^(2))=sqrt((200 Omega)^(2)+(212.3 Omega)^(2))Omega`
`=sqrt(85071.29) Omega = 291.67 Omega.`
`therefore" अभीष्ट धारा "I_("rms")=(V_("rms"))/(Z)=(220 V)/(291.67 Omega)=0.754 A.`
`V_(R)=I_("rms") cdot R=(0.754 A)(200 Omega) V=150.8 V,`
`V_(C)=I_("rms") cdot X_(C)=(0.754 A)(212.3 Omega)=160.1 V." अब "V_(R)+V_(C)=310.9 V gt 220 V.`
कारण- AC परिपथ के विभिन्न अवयवों (components) के सिरों के बिच वोल्टता का परिणामी 'सदिश योगफल' के नियम से प्राप्त किया जाता है न कि बीजगणितीय योगफल से | स्पष्टतः, त्रिभुज कि तीसरी भुजा (अर्थात परिणामी वोल्टता) अन्य दो भुजाओ के योगफल से अवश्य ही छोटी होगी, अतः पाइथागोरस प्रमेय के अनुसार,
`sqrt(V_(R)^(2)+V_(C)^(2))=sqrt((150.8 V)^(2)+(160.1 V)^(2))=220 V=` मुख्य स्रोत की वोल्टता |


Discussion

No Comment Found

Related InterviewSolutions