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चित्रकला व्यवसाय नहीं, अंतरात्मा की पुकार हैं- इस कथन के आलोक में कला के वर्तमान और भविष्य पर विचार कीजिए।

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प्रशन :- चित्रकला व्यवसाय नहीं, अंतरात्मा की पुकार हैं- इस कथन के आलोक में कला के वर्तमान और भविष्य पर विचार कीजिए।

उत्तर :- यह बातें लेखक एस:एच:रजा ने वर्तमान में हो रहे चित्रकला के व्यवसायीकरण को ध्यान में रखते हुए कही हैं | उन्होंने ये बातें ख़ास तौर पर युवा कलाकारों को संबोधित किया है | वे अपना सर्वस्व देकर चित्रकला के लिए समर्पित होते हैं जबकि बाजार में उनके चित्रों की नीलामी की जाती है | चित्रकला किसी भी कलाकार की अंतरात्मा की आवाज होती है, इसे व्यवसाय प्रधान नहीं बनाना चाहिए | चित्रकला का भविष्य उज्जवल है, लेकिन यह कहना मुश्किल है कि इसके व्यवसायीकरण पर रोक लगाया जा सकेगा या नहीं |  



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