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चित्त जहाँ भयविहीन कविता के भाव सौन्दर्य पर प्रकाश डालिये

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जहाँ चित्त भय-विहीन कविता का भाव-सौंदर्य :

रविंद्र नाथ ठाकुर द्वारा रचित ‘जहाँ चित्त भयविहीन’ कविता में देश की समृद्धि की आकांक्षा व्यक्त की है। कवि ने एक ऐसे देश की कल्पना की है, जहाँ पर भय का नामोनिशान नहीं हो। हर किसी का सीना गर्व से, स्वाभिमान से चौड़ा हो, ज्ञान का प्रसार हो, स्वतंत्र विचार हो, जहां पर कोई बंधन ना हो। पुरानी रुढ़ियों को जहाँ पर कोई स्थान ना हो और नवीन ज्ञान की धारा प्रवाहित होती हो। नवीन विचारों का उदय होता हो। कवि एक ऐसे स्वर्ग समान देश की कल्पना करता है और ईश्वर से ऐसे देश की रचना का आह्वान करता है।



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