1.

“डेबिट हमेशा क्रेडिट के बराबर होता है।” व्याख्या कीजिए। 

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किसी भी प्रविष्टि की शुद्धता के लिए आवश्यक है कि उसके दोनों पक्षों ऋणी और धनी (Debit and Credit) का योग बराबर हो। एक व्यवहार से दो या अधिक खाते प्रभावित होते हैं। अत: यदि एक खाते में कोई परिवर्तन (कमी या वृद्धि) होगा, तो  उसका प्रभाव दूसरे खाते पर भी पड़ेगा एवं यदि ऋणी (डेबिट) पक्ष में वृद्धि या कमी हुई, तो धनी (क्रेडिट) पक्ष में भी क्रमशः वृद्धि या कमी होगी। इसलिए डेबिट हमेशा क्रेडिट के बराबर होता है।



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