InterviewSolution
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देहिनोऽस्मिन् यथा, देहे कौमारं यौवनं जरा।तथा देहान्तरप्राप्तिर्षीरस्तत्र न मुह्यति ।।Please Translate In Hindi |
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Answer» Explanation: आत्मा किसके सदृश नित्य है इसपर दृष्टान्त कहते हैं जिसका देह है वह देही है उस देहीकी अर्थात् शरीरधारी आत्माकी इस वर्तमान शरीरमें जैसे कौमार बाल्यावस्था यौवनतरुणावस्था और जरा वृद्धावस्था ये परस्पर विलक्षण तीनों अवस्थाएँ होती हैं। इनमें पहली अवस्थाके नाशसे आत्मका नाश नहीं होता और दूसरी अवस्थाकी उत्पत्तिसे आत्माकी उत्पत्ति नहीं होती तो फिर क्या होता है कि निर्विकार आत्माको ही दूसरी और तीसरी अवस्थाकी प्राप्ति होती हुई देखी गयी है। वैसे ही निर्विकार आत्माको ही देहान्तरकी प्राप्ति अर्थात् इस शरीरसे दूसरे शरीरका नाम देहान्तर है उसकी प्राप्ति होती है ( होती हुईसी दीखती है )। ऐसा होनेसे अर्थात् आत्माको निर्विकार और नित्य समझ लेनेके कारण धीर बुद्धिमान् इस विषयमें मोहित नहीं होता मोहको प्राप्त नहीं होता। I KNOW it's too long but... it is I hope it will helpful to you give THANKS to my ANSWER nd FOLLOW me pls MARK my answer brainliest pliss |
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