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'धनलोलुपत्या पदस्य कः अर्थः ?​

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अलसस्य कुतो विद्या अविद्यस्य कुतो धनम्

अधनस्य कुतो मित्रम् अमित्रस्य कुतो सुखम्॥ निर्धन के मित्र कहाँ और बिना मित्रों के सुख कहाँ॥ GET FRIENDS and WITHOUT friends there is no HAPPINESS.



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